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संघ धूमधाम से पहुंचा । तीर्थ व्यवस्थापक पेढ़ी की तरफ से श्री संघ का सन्मान प्रवेश महोत्सव आदि ठाठ से हुआ 1 दूसरे दिन तीर्थाधिपति श्री ऋषभदेव प्रभु के जन्म तथा दीक्षा कल्याणक के संयुक्त पर्व के रूप में फा. वि. 8 (शास्त्रीय चैत्र वि. 8 ) का भव्य मेला होता था । श्री संघ में पूज्य श्री की निश्रा में श्रांबील की तपस्या, भव्य स्नात्र - महोत्सव तथा विशाल रथयात्रा, सायंकाल साधार्मिक वात्सल्य प्रादि करके जीवन को धन्य बनाया ।
इस प्रसंग में बाहर के हजारों जैन तथा जैनेतर एकत्रित हुए। अधिक में विद 9 के दिन भीलवाड़ा के छरी पालते संघ के संघवी श्री किशन जी सेठ की तरफ से समस्त देहरासर तमाम जिन प्रतिमाओं की स्वद्रव्य से पूजा भक्ति का लाभ यात्रियों के माध्यम से लिया। दोपहर पंच कल्याणक पूजा भव्य मण्डलालेखन के साथ भणाई |
विद 10 प्रात: दादा के रंग मण्डप में नाण जमाकर तुमुख प्रभु जी पधराकर पूज्य श्री ने किशन जी सेठ तथा उनकी पत्नी श्राविका जड़ाव बहिन के तीर्थं माला पहनाने की विधि पूरी कराकर उनके कुटम्बीजनों ने मिलकर देव द्रव्य का चढ़ावा बोलकर चढ़ते रंगतीर्थ माल दोनों को पहनाई किशन जी सेठ ने इस प्रसंग में खुले हाथों से पुजारी, गोठी पंडया, पेढ़ी के कर्मचारीगण, याचक-योजक इत्यादि दान १६७