Book Title: Sagar Dharmamrut
Author(s): Ashadhar Pandit, Lalaram Jain
Publisher: Digambar Jain Pustakalay

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Page 5
________________ पृष्ठ। पंक्ति। - अशुद्ध। vavAnn vvvo ७८ ११ मुक्ते -- * ८० ८२ १८ ७ काममें ९० - vm . ९२ . ९ शूद्र फलगु फल्गु भुक्ते रात्री रात्रि जुआ जूआ सवैर सवेरे कामम घिसी घिसे . त्यजेत त्यजेत् चतुर्दशीको रात्रीकी चतुर्दशीकी रात्रिको ' शुद्र गुरून्या गुरून्पा मुहूर्त शादि आदि द्वार द्वारा लागाके लोगोंके स्वाधिन स्वाधीन विधर्गी विधर्मी गृहस्य गृहस्थ अतरंग अंतरंग इकठा इकट्ठा मपि ९५ ५ मुहूर्त ९८ २० . . १०६ १४ १०६ १५ १०८ ४ १०८ ९ ११ ४ १११ ९ मयि ११५ १५ ८. - . गुरवो १९ १४ १२. १४ गूरवो अतःकरण T अंत:करण -

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