Book Title: Sagar Dharmamrut Author(s): Ashadhar Pandit, Lalaram Jain Publisher: Digambar Jain Pustakalay View full book textPage 3
________________ उनमेंसे आधी सूरतनिवासी साह किसनदास पूनमचंद कापड़ियाकी स्वर्गीय सौ. पत्नी हीराकोरबाई(हमारी माताजी)के स्मरणार्थ और आधी भावनगरनिवासी स्वर्गीय सेठ मूलचंद गुलाबचंद अमरजी वागडियाकी विधवा मणीबाईकी ओरसे अपनी स्वर्गीय सौ. पुत्री संतोकके स्मरणार्थ वितरण की गई हैं और हीराकोरबाई तथा संतोकबाईका चित्र भी आधी प्रतियोंमें अलग २ प्रकट किया गया है। हमें आशा हैं कि अब तो ऐसे शास्त्रदानका अनुकरण हमारे हिन्दी भाषाके जानकार अन्य भाई भी करेंगे। हमारी मातृभाषा गुजराती है । हिन्दी भाषाका कुछ साधारण परिचय होनेसे हमने इस ग्रन्थको प्रकट करनेका साहस किया है अतएव दृष्टिदोषसे कुछ अशुद्धियां रह गई हों, विद्वद् | पाठकगण उन्हें शुद्ध करके पढ़ेंगे ऐसी हमें आशा हैं । वीरनिर्वाण सं. २४४१ । जैनजातिका सेवक- . ज्येष्ठ शुक्ल ५ सं. १९७१ } मूलचंदु किसनदास:कापड़िया-सूरत. ता. १७-६-१५. +Page Navigation
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