Book Title: Sagar Dharmamrut
Author(s): Ashadhar Pandit, Lalaram Jain
Publisher: Digambar Jain Pustakalay

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Page 4
________________ है शुद्धिपत्र । योनियोंमें सम्यक् पापा पापाः कभी न कभी उत्पन्न मपवर्गो ह्रीमय वैद्यक पृष्ट। पंक्ति। अशुद्ध। योगियोंमें ९ १७ सम्यक १७ १४ २४ १६ कभी उतन्न मवर्गो होमय २७ २ वैदक २७ १४ व्ययोप्य ४३ १८ प्रतिभा ४३. २२ पधिम्यो ४७ ९ प्रायश्चित पकारकी - संक्षप मधु ५८ ११ ६३ १२ . उस ६५ ४ धिक्कार ६६ १८ इकठे ७१ ८ गाताका ७२ ३ त्यधं 1TT1 BOLE 'm wouTEAM व्ययोय प्रतिमा पधिभ्यो प्रायश्चित्त प्रकारकी संक्षेप मधू द्यूतं - ... द्युतं -**mAPANHUATIALA इस धिक्कार इकहे माताका त्यचं

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