________________
साध्वी रत्न पुष्पवती अभिनन्दन ग्रन्थ
से स्पष्ट भाषित हो जाएगा" - "यह अनुमान लगाया गया है कि सभी सभ्य भाषाओं की शब्दावलियों में आधे शब्द वैज्ञानिक तथा शिल्प विज्ञान सम्बन्धी पारिभाषिक शब्द हैं, जिनमें से बहुत से शब्द पूरी तरह अन्तर्राष्ट्रीय हैं ।"
भारत के प्रसिद्ध वैज्ञानिक तथा शिक्षाशास्त्री स्वर्गीय डॉ० शान्ति स्वरूप भटनागर ने लिखा था – “समस्त भारत के शिक्षाशास्त्री इस बात में सहगत हैं कि देश में आधुनिक विज्ञानों के ज्ञान के प्रचार में सबसे बड़ी बाधा समुचित पारिभाषिक शब्दावलि का अभाव है ।" पारिभाषिक शब्दों, अर्द्ध पारिभाषिक शब्दों तथा सामान्य शब्दों का यह महान अभाव न केवल हिन्दी में ही है, वरन् भारत की सभी आधुनिक भाषाओं में है 112
कभी-कभी एक ही पारिभाषिक शब्द का अर्थ भिन्न-भिन्न विषयों या विज्ञानों में भी अलगअलग हो जाता है । उदाहरण के बतौर संस्कृत शब्द 'आगम' का साधारण अर्थ 'आना' होता है । पर निरुक्त में इसका अर्थ 'किसी शब्द में किसी वर्ण का आना तथा प्रत्यय' होता है । धर्मशास्त्र में आगम का अर्थ 'धर्मग्रन्थ और परम्परा से चला आने वाला सिद्धान्त' होता है । आप्टे के संस्कृत अंग्रेजी कोश में आगम के इन पाँच अर्थों के अतिरिक्त १३ अर्थ और दिये हैं जिनमें चार-पाँच अर्थ पारिभाषिक हैं । इस प्रकार सन्धि शब्द का साधारण अर्थ मेल है पर संस्कृत व्याकरण और राजनीति में इसके अलग-अलग अर्थ हैं जो मेल-मिलाप से कुछ मिलते हुए भी भिन्न ही हैं। आप्टे ने सन्धि शब्द के भी चौदह अर्थ दिये हैं । संस्कृत 'लोह' शब्द का सामान्य अर्थ 'लोहा' हम सब जानते हैं पर 'लोह' शब्द के अर्थ भी ताँबा, ताँबे का फौलाद, सोना, लाल, लालसा, कोई धातु, रक्त (खून), हथियार और मछली पकड़ने का काँटा भी है । अभी देखते-देखते बौद्ध धर्म का धार्मिक-पारिभाषिक शब्द 'पंचशील' राजनैतिक पारिभाषिक शब्द बन गया और उसका अर्थ सह-अस्तित्व आदि हो गया। इसी प्रकार 'समय' शब्द का सामान्य अर्थ काल (Time) का बोधक है । संस्कृत शब्दार्थ कौस्तुभ में 'समय' के उन्नीस अर्थ उल्लिखित हैं । 13 लेकिन जैन दर्शन में उसका अभिप्राय 'आत्मा' से भी है । अतएव 'समय' शब्द जैन दर्शन का पारिभाषिक शब्द है । 'निरोध' शब्द का जन-सामान्य में अर्थ प्रचलित है - परिवार नियोजन का चर्चित उपकरण । पर जैन दर्शन में इसका अर्थ ज्ञानपूर्वक रोकना है । 'भव' का सर्वसामान्य अर्थ है संसार किन्तु जैन दर्शन में 'भव' शब्द जन्म से मरण तक की मध्यवर्ती अवधि के लिए प्रयुक्त होता है अतएव जैन दर्शन के उक्त दोनों शब्द भी पारिभाषिक हैं ।
इस प्रकार पारिभाषिक अर्थ व्यञ्जना को जाने बिना प्राचीन आर्ष ग्रन्थों का अर्थ समझना प्रायः सम्भव नहीं है । पारिभाषिक शब्दावलि से अपरिचित होने के कारण इन ग्रन्थों में व्यञ्जित अर्थात्मा को समझने-समझाने में बड़ी असावधानी की जा रही है । प्रयुक्त पारिभाषिक शब्दावलि का सम्यक् ज्ञान प्राप्त किये बिना कोई अर्थशास्त्री (शब्दार्थ शास्त्री - Semasiologist) किसी भी काव्यांश का अर्थ और व्याख्या करने में समर्थ नहीं हो सकता । प्रस्तुत शोध-लेख में आर्ष ग्रन्थों में व्यवहृत कतिपय पारिभाषिक शब्दों अभिप्राय प्रस्तुत करना हमारा मूलाभिप्रेत है ।
अणुव्रत - 'अणु' का अर्थ सूक्ष्म है तथा व्रत का अर्थ धारण करना है । इस प्रकार अणुव्रत शब्द की सन्धि करने पर इस शब्द की निष्पत्ति हुई । अणु नामधारी व्रत अणुव्रत है । निश्चय सम्यक्दर्शन सहित चारित्र गुण की आंशिक शुद्धि होने से उत्पन्न आत्मा की शुद्धि विशेष को देशचारित्र कहते हैं । श्रावक दशा में पाँच पापों का स्थूलरूप एकदेश त्याग होता है, उसे अणुव्रत कहा जाता है 114
आर्ष ग्रन्थों में व्यवहृत पारिभाषिक शब्दावलि और उसका अर्थ अभिप्राय : डॉ० आदित्य प्रचंडिया | १६३
www.