________________
साध्वारत्न पुष्पवती अभिनन्दन ग्रन्थ ।
विश्व-शान्ति में नारी का योगदान
....
.
.
...
–मनि नेमिचन्द्र जी
(शिखरजी) विश्व में अशान्ति के कारण
विश्व के समस्त प्राणियों में मानव सर्वश्रेष्ठ प्राणी है। उसका कारण यह है कि एक मात्र मनुष्यजाति ही मोक्ष की अधिकारिणी है। अन्य किसी भी गति या जाति का प्राणी मोक्ष का अधिकारी नहीं है । सर्वश्रेष्ठ प्राणी होने के नाते मानव पर सबसे अधिक उत्तरदायित्व है कि वह दूसरे प्राणियों के साथ सहानुभूति, सहृदयता, मैत्री और आत्मीयता रखे । परन्तु वर्तमान युग का मानव ज्ञान-विज्ञान में, बल और बुद्धि में आगे बढ़ा हआ होने पर भी इन बातों से प्रायः कोसों दूर होता जा रहा है। इसके कारण विश्व में अशान्ति फैली हुई है। किसी भी राष्ट्र में शान्ति नहीं है । सभी राष्ट्र एक-दूसरे के प्रति सशंक और भयभीत बने हुए हैं। किसी को किसी राष्ट्र पर विश्वास नहीं रह गया है।
विश्व में अशान्ति के कारणों को खोजा जाए तो मोटे तौर पर निम्नलिखित कारण प्रतीत होंगे
१. युद्ध की विभीषिका, परिवार, समाज और राष्ट्र में आन्तरिक कलह । २. शस्त्रास्त्र वृद्धि, सेना वृद्धि, अणुबम इत्यादि का खतरा । ३. रंगभेद, राष्ट्रभेद, जाति-वर्णभेद, धर्म-सम्प्रदाय-भेद, राजनैतिक अतिस्वार्थ आदि
विषमताएँ। ४. दुर्व्यसनों में वृद्धि, बीमारी, प्राकृतिक प्रकोप, उपद्रव आदि । ५. सहयोग और स्वार्थत्याग की कमी।
ये और ऐसे ही कुछ कारण हैं, जिनके कारण विश्व में अशान्ति बढ़ती है। अशान्ति बढ़ने से मानव सुख-शान्तिपूर्वक जी नहीं सकता। अशान्ति के कारणों को दूर करने के उपाय
यह सच है, कि विश्व में फैलती हुई अशान्ति की आग को शांत करने के लिए अशान्ति के २७० | छठा खण्ड : नारी समाज के विकास में जैन साध्वियों का योगदान
www.iair