Book Title: Sacchaye Prakirnak Dashake
Author(s): Agamoday Samiti, 
Publisher: Agamoday Samiti

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Page 255
________________ म्यशालिभद्राधनुस्मृतिः पाइण्णय- महं करेसीह। ४५० ॥१६८५॥ सुमहियसावयधम्मा जिणमहिनाणेसु जाणिवतोहग्गा । जसहरमुणिणो दसए १० पासे निक्र्खता तिवसंधेगा॥ ४५१ ॥१६८६॥ सुगिहियजिणपनीमयपरिपुड्डा सीलसुरहिगंधडा(डा)। विह- मरणसरिय गुरुस्सगासे जिणवरवसुपुज्जतिस्थंमि ॥ ४५२॥१५८७॥ कणगावलिमुत्तावलिरयणावलिसीहकीलियमाही कलंता । काही य ससंवेगा आयंषिलवहुमाणं च ॥ ४५३ ॥ १६८८ ॥ आसरिया य मणोहरसिहरंतरसं॥१२७॥ |चरंतपुक्खरयं । आइकरचलणपंकयसिरसेवियमाल हिमवंतं ॥४५४ ॥ १६८९॥ रमणिजहर्रयतरुवरपरहु असिहिभमरमहुयरिविलोले । अमरगिरिविसयमणहरजिणवयणसुकाणणुसे ॥४५५ ॥ १६९० ॥ संमि सिलायल पुहवी पंचवि देहढिईसु मुणियत्था । कालगयां उववण्णा पंचवि अपराजियविमाणे ॥ ४५६ ॥ ॥ १६९१ ॥ ताओ चहऊण इहं भारहवासे असेसरिउदमणा । पंडनराहिवतणया जाया जयलच्छिम सरस सुगृहीतश्रावकधर्मा जिनमहिमसु जनितसौभाग्याः। यशोधरमुनेः पार्श्वे निष्क्रान्तास्तीत्रसंवेगाः ॥ ४५१॥ सुगृहीतजिनषचनामृतपरिपुष्टाः शीलसुरभिगन्धाढ्याः । विहृताः गुरुसकाशे जिनवरवासुपूज्यतीर्थे ॥ ४५२ ॥ कनकावलीमुक्तावलीरनावलीसिंहनिष्कीडितानि कल यन्तः । अकार्पश्च ससंवेगा आचाम्लवर्द्धमानं च ॥ ४५३ ॥ आश्रिताश्च मनोहरशिखरान्तरसञ्चरत्पुष्करकम् । आदिकरचरणपङ्कजसेवितहै। शिरोमालं हिमवन्तम् ।।४५४॥ रमणीयमूहतरुवरपरभृतशिखिभ्रमरमधुकरीविलोले। अमरगिरिविशदमनोहरजिनवच (भव)नसुकाननोदेशे ॥४५५ ॥ तस्मिन् शिलातले पञ्चापि पार्थिवदेहस्थितिष ज्ञातार्थाः। कालगताः पश्चाप्युत्पन्ना अपराजितविमाने ॥ ४५६ ॥ तस्माशयुत्वा ॥१२७॥ For Personal Private Use Only

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