Book Title: Rushidattras Author(s): Jayvantasuri, Nipuna A Dalal, Dalsukh Malvania Publisher: L D Indology AhmedabadPage 18
________________ नवमा गीतमां जैनोना महातीर्थ शत्रजयगिरिनु वर्णन करतां कवि कहे छे: ____“कणेय भुवनमा विमला चल जंबु कोई तीर्थर थान नथी. यां देवं स जिनेदर समोसर्या छे अने पांचकोडि मुनिओ परिवर्या छे." सोळा गीतमा कवि तृष्णानो त्याग करवा विनवे छे. अकत्रीसमा गीतमां कवि नेमनाथना विचारे चढती राजीमतीनी व्यथा वर्णवे छे. ते बिचारे छे के “ मारा नेमजी आवशे त्यारे अमने थाळभरी मातीथी वधावीश. जे मारा वालिभनी वात करशे तेने वधामणी रूपे हार आपीश." तेवीसना गीतमां स्थूलिभद्र ज्यारे पाछा कोशाने त्यां आवे छे त्यारे कोशाना दिलमां जे आनंद थाय छे ते व्यक्त को छे. अंते वेपनमा गीतमां कविले राजुलनी नेमनाथनां दर्शन करवानी अभिलाषा वर्णवी छे. आप गीतसंग्रहमां अनेक छटांछवायां गीतानी लहाण कविओकरी छे.. (१०) लोचनकाजल संवाद : आ अढार कडीन सुंदर गीत छे. आमां कवि लोचन अने काजल बच्चेनो सुंदर संवाद रजू को छ : " नयणारे गुण रयणां नयणां, मणघटती जोडि, काला कज्जल केरइ कारणि, तुझनइ मोटी खोडि रे." आ उपरांत, कवि काव्यप्रकाशनी टीका संस्कृतमां लखी छे तेनी प्रशस्ति नीचे प्रमाणे छे: " टीका काव्यप्रकाशस्य आलिलेख प्रमोदतः । गुणसौभाग्यसुरीणां गुरूणां प्राप्य शासनम् ॥ संवत १६,२ वर्षे पोष सुदि १३ बुधे समाप्तोयं ग्रन्थः ॥ आम कवि पद्यसाहित्यना विविध प्रकारो जेवा के रास, बारमासी, फागु, स्तबनो, गीत वगेरे खेड्या छे. (११) नेमनाथ स्तवन : ४. कडीनी आ नानकडी कृतिन संशोधन करी मुनिश्री संपतविजयजीना शिष्य मनि धर्मविजये ओ कृति ताजेतरमां बहार पाडी छे अम जाणवा मल्यं छे. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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