Book Title: Rushidattras
Author(s): Jayvantasuri, Nipuna A Dalal, Dalsukh Malvania
Publisher: L D Indology Ahmedabad

Previous | Next

Page 182
________________ परिशिष्ट नीकळी. शंखचूड पण लोही जोइ जीमूतवाहनने बचाववा गरुडनी शोधमा दोडयो. जीमूतवाहनने परार्थे प्राणत्यागमां आनन्द बतावतो जोईने गरुडने शंका गई के आ नाग नथी. त्यां शंखचूड आवी पहोंच्यो. तेणे कहयु. "तें पकडयो तेने छोड, नाग तो हुँ छु, मने खा" एटलामां अर्धा खाधेला जीमूतवाहनना प्राण ऊडी गया. मलयवतीए देवीने संबोधीने भविष्यवाणीनी याद आणे. देवीए अमृत छांटी जीमूतवाहनने सजीवन कर्मो ने विद्याधरचक्रवर्ती स्थाप्यो. गरुड पासे नागभ क्षण बंध करवान ने मारेला नागो सजोवन करवान वरदान मेळव्यु विद्याधरोए हिमालय लइ जइ जीमूतवाहननो राज्याभिषेक कर्यो. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 180 181 182 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206