Book Title: Rushidattras
Author(s): Jayvantasuri, Nipuna A Dalal, Dalsukh Malvania
Publisher: L D Indology Ahmedabad

Previous | Next

Page 199
________________ ढील ३ शुद्धि सम सुंदर सुंदरपणई सविकहिन ठामोठांम चंपक नई जोवा भणी घरणी कहितणइ ढाल ४ " " ढाल ५ ढाल ६ शुद्धिपत्रक अशुद्धि कर्ड। ६ समसुंदर कंडी ७ सुंदर पणई कडी ८ सवि कहिनई कडी १६ ठामो ठांभ कडी १६ चंपकनई कडी ३१ जोवाभणी कडी ३४ धरणी कडी १ कहि तगइ कडी २त्रूटक हु कडी ७ एकंगणु कडी १७ अलाद कडी २० अकथितकारीचेट कडी २१ विसनी कडी २ ससिर कडी ३ प्रीयु मुख कडी ७ घउ कडी १६ धणउ कडी २४ गर्भवृद्धि कडी ३० जरा जीर्ण कडी ५ न बिचलइ कडी २ धरि कडी ७ उलंधनं कडी ७ सेसजल कडी ९ सालकि कडी ९ कडी १० वनशाथि कडी १० मोकला मणीरे कडी ११ सुंदरि कडी ११ संमार कडी १५ उच्छंगिकि कडी १७ मेहलोजंति कडी ४ फूल-फगर कडी ६ वृंदाजी एकगणु आह्लाद अकथितकारी चेट व्यसनी सिसिर प्रीयुमुख द्यउ ढाल ८ ढाल ९ घणउ गर्भ वृद्धि जराजीर्ण नवि चलइ घरि उलंघन सेस जल साल कि इम वम शाथि मोकलामणी रे सुंदर संभार उच्छंगि कि मेहली जंति फूल पगर वृंदजी ढाल १० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206