Book Title: Rushidattras
Author(s): Jayvantasuri, Nipuna A Dalal, Dalsukh Malvania
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 120
________________ सुभ महूरति रे, कनकरथ राज्यइं ठवी, श्री हेमरथ रे, संपद सघली भालवी; वैराग्यइं रे, श्रीभद्रसूरिनी सानिधई, पालइ संयम रे, समरथ ते त्रिकरण सुद्धइं. त्रूटक त्रिकरण सुद्धई संयम पाली, वेगि शिवरमणी वरी, श्रीकनकरथ नरनाथ समरथ, कीरति त्रिभुवनि विस्तरी; अन्याय टालइ राज्य पालइ, कला दिन दिन दीपती, सुत सिंहरथ जितरूप मनमथ, लहइ ऋषिदत्ता सती. ढाल ३८ राग : आसाउरी. (मसवाडानी पहिली.) ऋषिदत्तास्य उं अक दिनइं, गुखि बइठउ नरनाहजी ; जोइ शोभा नगरनी, धरतउ अंगि ऊमाहजी. त्रूटक ऊमाह अंगि सुरंगि धरतउ, कनकरथ वसुधाधणी, क्षणमांहिं वादल गयणमंडल, छाहीउ निरखइ गुणी; विश्राल सहिसा थय उं ततखिण, कारण ते वइरागनूं, कनकरथ नरनाथ चितइ, भवस्वरूप अहवउं गणुं. जेहवी रे सायर लहिरडी, जेहवउ संध्यारागजी; कुशअग्रई जलबिंदूउ, जेहवउ नट वयरागजी. बेटक वयराग नटनउ अथिर जेहवउ, प्रीति दुर्जन केरडो, घरवास चंचल कामिनीनउ, नीरमांहि लीहडी; Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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