Book Title: Rushidattras
Author(s): Jayvantasuri, Nipuna A Dalal, Dalsukh Malvania
Publisher: L D Indology Ahmedabad
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परिशिष्ट
- १११ विवेकमंजरी अन्तर्गत वर्णनोकनकरथं अरिदमन साये युद्ध करवा चाल्यो त्यारनु वर्णनः ___ लश्करे जयारे प्रयाण कर्यु त्यारे सूर्य ढंकाई गयो. पवनवेगी घोडा लश्करमा हता. आकाशरूपी वक्षस्थलमां जाणे स्तनरूपी घोडा दोडता न होय तेम तेओ चाल्या. आश्रमनु वर्णन :
राजा हरिषेण जे आश्रममा गयो ते आश्रममा विश्वभूति तापस हता. त्यां पोपटो तापसना शिष्योने प्रेरणा करता हता के “अतिथिy आतिथ्य करो" हरणांओना मोढामांथी खाधा पछी आवेला धानना ढगला पडल्या हता ने मोढामां फीण आव्यां हता. मुनिना खोळामां बच्चां बेठां हतां. वृक्षोनी छायामां तापसमंडळ बेठेलु हतुं ने कुलपति शिष्योथी वोटळायेला हता.
अज्ञातकविकृत कथामां आवतां वर्णनो : पंचतीर्थंकरोनु वर्णन : - जे तीर्थ पासे राजाओना मुकुट नमेला छे. प्रकाशरूप नदीना प्रवाहथी जेना पग धोवायेला छे, कंचनना पांच मेरुनां फूल जेना पर चढेलां छे एवां पंचतीर्थंकर भविपुरुषोना कल्याण माटे लक्ष्मी आपनारां थाओ.
(१) उछळता भ्रमर समान तरंगोवाळा मागध नामना आनंद आपनारा तीर्थना पाणी वडे स्फुरायमान योजनप्रमाण नाळचावाळा कळशोवडे देवोवडे जेओ अभिषेक कराया, नृत्य करती कुम्भस्थल समान श्रेष्ठ (स्तनवाली) अने नम्र श्रेष्ठ होठवाळी अप्सराओवडे जन्ममहोत्सवमा स्तुति करायेला ते वृषभ प्रभु कष्टोथी तमारु रक्षण करो..
(२) भूत, प्रेत, विकराल अने श्यामवर्णवाळो विलास करतो वेताल, काळज्वर, अंधकारमा भमती राक्षसीओ. वनमा फरती दुष्ट डाकिनीओ, शाकिनीओ, शक्तिशाळी एवी पिशाचनी श्रेणीओ, दुष्ट देवीओ, पामर स्त्रीओ आ बधांने, स्फुरायमान छे नयनी श्रेणी जेमां एवं श्री शांतिनाथनु स्मरण शांतपणाने पमाडे छे.
(३) विकस्वर रात्रिविकासी कमळना कोमळ अने उज्ज्वल पत्र समान श्यामवर्णवाळा; स्त्रीओना मननी क्रीडाने माटे क्रीडागृह समान अजोड निर्मळ गणना समदायवाळा. पवित्र आत्मावाळा, स्फुरायमान यादववंशरूपी मानस सरोवरमां राजहंस सरखी शोभावाळा, भव एटले संसारमा इष्ट मनुष्योने विलास करतु छे रूप जेमनु एवा, श्री नेमिनाथ भगवानने नमस्कार थाओ.
(४) स्पष्ट (सुन्दर) रूपवाळा, अत्यंत बळवान महान नागराजवडे धारण करायु छे छत्र जेमने एवा, विकस्वर पद्म, विशाळ कुवलय अने कमळ सरखा विकसित नेत्रवाळा जेमने जोईने सुंदर नम्र, अप्सराओ सहित श्रीनागराज तथा तेमनी देवीओनो समुदाय सेवानी प्रार्थना करे छे ते आ श्री अश्वसेन राजाना पुत्र पार्श्वनाथ भगवान भव्य जीवोनी समृद्धिने माटे थाओ..
(५) वास्तविक जेमनी स्तुति करवाथी आधि, विरोध, केदीपणु विगेरे विपत्तिओ नाश पामे छे, वळी वाघ, दुष्टहस्ति, पाणी, अग्नि, वायु विगेरे महान विध्नोनो समुदाय क्षय पामे
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