Book Title: Rushidattras
Author(s): Jayvantasuri, Nipuna A Dalal, Dalsukh Malvania
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 171
________________ १०६ परिशिष्ट अवगुण सघला छावरई, जे जसु वल्लभ हुंति, सरसव जेता दोषनई, दोषी मेरू करंति. (१३. दूहा ५ ) सूकुं बलतां नीलू लागई, अन्याईनई दोषी. (१४.११) एक कोई नई अपराधईं सहुनई, कोप न कीजई चित्तई जि, भसु मांद तडिंग डांभिई, ए नहीं रूडी रीति जि. (१४.१३) जे गायन वालई, अर्जन तेह विख्यात जि. (१४.१४) आदर्श स्यउं करई कंकणई ? ( १५.१५) अवगुण सगा न होई. (१६.१७) पूर्व करम शुभाशुभ दाता, अवर स्यउं केहउ दोस रे. (१८.११) करम साथ रे कुंणई नवि चालई, करमई नडया रे अनेक जि. ( १९.१) पूरव करम उदय थकी, परिसह सहया रे अपार जि. (१९.२) पूरव पुण्य तणई वसई, मति हुई सहाई. (२०.११) पाहण पावकिं परजलई, फाटई पिण मिलई वारई, सज्जन दीठई दुख सांभरई, आवई हईडला बारई (२०.१४) पाकी बोरि अनई स्त्रीजाति रे, देखी सूनां वाहई सहु हाथ रे. (२१.५) वनिता अनई सेलडी वाड रे, देखी पुरुषां तणी गलई डाढ रे. (२१.६) शील ते स्त्रीन परम निधांन रे. (२१.७ ) कल्याण कोडि लहई सही, नर जीवता. ( २३.११ ) अबला तणईं नींसासडई, पुरुषनई पाडइ शर्म. (२४.८) जउ मां गई मान्या तणी, तउ जिवतई स्यउं कांम ? ( २४.९ ) छछउंदिरी जिम सापि साही. (२४.११) नेह खरु नारी तणउ रे, नर पूठई अवटाई, नर मिसनेही निरगुणी रे, बीजा केडई थाई. (२५.३) आभा विण स्यऊ मेह ? ( २७.१ ) कुण किणनां किहांथी मिलई हो, पूरव प्रेम -संयोग, एक देखी मन उहलसई हो, एक दीठइ करई शोक. (२८.६ ) प्रीति नयनां सरिखी कहाई. (२९.५ ) उत्तमनई नेह नीच स्यउ रे, जिम मिरीआं कपूरो रे. (३०.६) जेह स्थउं मन मिल्यउ रे, ते विगुणाई सुरंग. (३०.७) रोर घरि जेम निधान (३१.६ ) स्वारथ सहू सपरांणउ. (३२.२) पी न सकुं ढोली सकु (३२.४) अमीई मेह वूठऊ. (३२.९) वेई पीडा आपणी, परनी करई उथापणी, जिम ढोला नई मारूंणी, विचि अंतराई मालविणी. (३३.९) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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