Book Title: Rupsen Charitra
Author(s): Jinsuri
Publisher: Atmanand Jain Tract Society

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Page 3
________________ Serving Jinshasan न JM MI ... ... // श्री पीतरागाय नमः // 1 080357 gyanmandir@kobatirth.o "श्री रूपसेन चरित्र"। -0 * रत क्षेत्र में मगध देशान्तर्गत राजगृह नगर में यादव * वंश के शिरोमणि श्री मन्मथराजा राज्य करते थे। *** उनकी सबसे बड़ी रानी का नाम मदनावती था / वे हमेशा ही न्याय पूर्वक प्रजा का पालन करते थे। - एक दिन वर्षा काल उपस्थित होने पर उनके नगर के निकटर्तीि शीतल-जला नामक सरिता जल से परिपूर्ण वहने लगी। . राजा क्रीड़ार्थ नदी में नाव डाल कर भ्रमण करने लगे। सी अवसर पर राजा ने नदी में अनेक वस्त्राभूषणों से सुशोभित एक महा पुरुष को देखा, तथा कुतुहल से अपनी व उस के पीछे लगा दी / राजा ज्यों 2 उस महानुभाव के पीछे जाता था, वह हानुभाव त्यों 2 उससे आगे बढ़ता तथा जल में डूबता जाता m; यहां तक कि थोड़ी देर में राजा को उस महानुभाव का त्रि शिर ही दोखने लगा। राजा ने यह देख कर तुरन्त ही वचार किया, “यह अवश्य ही कोई दैवी शक्ति है, इसे देखना हिये। इस तरह दौड़ धूप के बाद राजा ने देखा कि वह शिर हुत दूर जाकर जल में स्थिर हो गया। राजा तुरन्स ही उसके P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust

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