Book Title: Pushkarmuni Abhinandan Granth
Author(s): Devendramuni, A D Batra, Shreechand Surana
Publisher: Rajasthankesari Adhyatmayogi Upadhyay Shree Pushkar Muni Abhinandan Granth Prakashan Samiti

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Page 17
________________ शुभकामना Jain Education International ( १४ ) मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि अभिनन्दन ग्रन्थ समिति की ओर से राजस्थानकेसरी श्री पुष्कर मुनि महाराज जी की साधना के ५४ वर्ष सम्पन्न होने पर एक अभिनन्दन ग्रन्थ प्रकाशित किया जा रहा है । मुख्य मन्त्री हिमाचल प्रदेश शिमला - १७१००२ औद्योगीकरण की स्थिति जहाँ एक ओर राष्ट्रों की भौतिक समृद्धि की प्रतीक बनी हुई है, वहाँ दूसरी ओर जीवन के हर क्षेत्र में भाग-दौड़, अतिव्यस्तता ने मनुष्य के मन को अशान्त कर दिया है। वह अध्यात्मिकता की ओर से विमुख होता जा रहा है। ऐसे में यह आवश्यक है कि इस रेल पेल में उसे मानसिक शान्ति प्राप्त हो ताकि वह नये सिरे से तरोताजा होकर रचनात्मक कार्यों में अपना हाथ बँटा सके । मुझे आशा है कि इस ग्रन्थ का प्रकाशन लोगों का मार्गदर्शन करेगा तथा उन्हें अध्यात्म, ध्यान तथा योग की ओर आकर्षित करने में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगा । मैं प्रकाशन की सफलता एवं लोकप्रियता की कामना करता हूँ । 14491/emo/77 (ह०) शान्ता कुमार मुख्यमन्त्री हिमाचल प्रदेश मुख्य मन्त्री, राजस्थान जयपुर Chief Minister of Rajasthan Jaipur १४ नवम्बर १६७७ प्रिय श्री पुनमिया, मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई कि अध्यात्मयोगी श्री पुष्कर मुनि जी के दीक्षा के ५४ वर्ष सम्पन्न होने के अवसर पर उन्हें एक अभिनन्दन ग्रन्थ समर्पित किया जा रहा है । हमारे देश में अध्यात्मयोगियों के प्रति सम्मान करने की परम्परा बहुत प्राचीन काल से चली आ रही है किन्तु पिछले कुछ वर्षों में ऐसे तत्व उभरकर आ आ गये थे जिनके कारण सच्चे योगी और तपस्वी महात्मा एवं विद्वान् पुरुषों का लाभ समाज को नहीं मिल सका। अब पुनः ऐसे महापुरुषों के बारे में समाज की जागरूकता बढ़ती जा रही है, यह प्रसन्नता की बात है । For Private & Personal Use Only मैं आशा करता हूँ कि श्री पुष्कर मुनि जी को समर्पित किया जाने वाला अभिनन्दन ग्रन्थ उनके जीवन-दर्शन और साधना के बारे में प्रेरणास्पद जानकारी प्रदान करेगा । मैं उनको अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए इस ग्रन्थ की सफलता के लिये हार्दिक शुभकामनाएं प्रकट करता है। आपका (ह०) रोंसिंह शेखावत www.jainelibrary.org

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