Book Title: Pushkarmuni Abhinandan Granth
Author(s): Devendramuni, A D Batra, Shreechand Surana
Publisher: Rajasthankesari Adhyatmayogi Upadhyay Shree Pushkar Muni Abhinandan Granth Prakashan Samiti
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ग्रन्थ के अन्तरंग निर्माण का दायित्व तो हमारे विद्वान प्रधान सम्पादक साहित्य महारथी श्री देवन्द्र मुनि जी पर था, वे ही सबके प्रेरणा स्रोत थे । अथक जन-सम्पर्क व स्वयं लेखन करके उन्होंने इस भगीरथ कार्य को जिस तन्मयता और श्रेष्ठता के साथ सम्पादित किया है वह वर्णनातीत है। उनकी एक निष्ठ गुरुभक्ति और आठ-दस घंटा की सतत लेखनसाधना का ही यह चमत्कार है कि यह विशालकाय अभिनन्दन ग्रन्थ इतनी उच्चकोटि की सामग्री के साथ प्रस्तुत हो रहा है। डा० ए० डी० बतरा और श्रीयुत श्रीचन्द जी सुराना ने भी बड़ी निष्ठा के साथ इस दायित्व को निभाया है । डा० बतरा जी व श्री सुराना जी ने भी संपादन में अपना सहयोग दिया। साथ ही सुराना जी ने ग्रन्थ को सुन्दर व श्रेष्ठतम मुद्रण कराकर नयनाभिराम रूप प्रदान किया है।
ग्रन्थ के मुद्रण में, आगरा के सुप्रसिद्ध प्रेस 'दुर्गा प्रिंटिंग वर्क्स' के मालिक श्री पुरुषोत्तमदास भार्गव, मुद्रण कला के विशेषज्ञ श्री महेन्द्र जैन (जैन सन्स प्रिंटर्स) तथा मोडर्न आर्ट प्रिंटर्स का हार्दिक सहयोग प्राप्त हुआ है। प्रूफ संशोधन में अनुभवी प्रूफ संशोधक श्रीयुत बृजमोहन जैन का आत्मीय सहयोग भी सदा स्मरणीय रहेगा।
अर्थ संयोजन का दायित्व हम लोगों के नाजुक कंधों पर था । मुझ में गुरुभक्ति तो है, पर अपनी अल्पज्ञता और व्यस्तता के कारण इस गुरुतर दायित्व को निभाने में बड़ा संकोच हो रहा था। फिर भी हमारे अनेक साहसी उदारचेता श्रावकों का प्रोत्साहन, विश्वास और सहयोग मिला तो मेरा साहस बढ़ता गया और ग्रन्थ-निर्माण की प्रगति में हमारा सहयोग जुटता गया।
जिन-जिन उत्साही दानवीरों ने ग्रन्थ की सदस्यता स्वीकार कर हमें सहयोग दिया है, उनके प्रति मैं समिति की ओर से मात्र औपचारिक रीत्या आभार प्रकट कर रहा हूँ, वास्तव में तो यह उनकी गुरु-श्रद्धा का स्वतः देय है, इसमें किसी प्रकार का आग्रह या अनुग्रह जैसा कुछ है ही नहीं। सभी सदस्यों, सहयोगियों ने उत्साह तथा स्वतःस्फर्त भक्ति के साथ हमारा सहयोग किया है।
___मैं विश्वास करता हूँ कि अभिनन्दन ग्रन्थ के रूप में हमारी गुरु भक्ति का यह एक जीवित श्रद्धा-सुमन आने वाली शताब्दियों में आदर्श माना जायेगा और हजारों पाठक इससे लाभ उठायेंगे।
-दानमल पुनमिया
महामन्त्री अभिनन्दन ग्रन्थ प्रकाशन समिति .
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