Book Title: Pravachana Kiranavali Pistalisa agam Rahasya
Author(s): Vijaypadmasuri
Publisher: Jain Dharm Prasarak Sabha
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સત્તાવીશ પ્રકાશ છે શ્રી અનુયોગદ્વાર સત્રના સંક્ષિપ્ત પરિચય
॥ आर्या ॥ वुच्छं परिचयलेसं, अणुप्रोगद्दारसिट्ठसुत्तस्स ॥ अणुओगपुरपवेसे, वारमिणं सुत्तसहत्थो ॥२१३ ॥
जाणागममंजुसु-ग्धाडणवरकुंचियासमं सत्तं णिज्जुत्तिरहस्सवयं, नाणदेसाई पण्णत्ती
॥ ॥२१४ ।।
आवस्सयसुयखंधे, निक्खेवनिओजणं तहा किच्चा ।। सम्वत्थवि निदिह, अणुओगो सुचवक्खाणं ॥ २१५ ॥
मेया उपक्कमाई, तस्स पभेयावि वित्थरा भणिया ।। अंगुलकालसरूवं, पल्लोवमसागराइगयं ॥२१६ ॥
नाणगुणक्सपमाणे, पच्चक्खणुमाणपमुहपण्णत्ती ॥ आगमपमाणभणणे, अत्तागमपमुहभेउत्ती ॥२१७ ॥
गणणापरूषणाए, संखिज्जाइयसरूवपण्णवणा ॥ वचन्धयाइ भावा, उवाकमे विस्थरा भणिया ।। २१८ ॥
निक्खेवे भेयतिगं, दो भेया अणुगमे य वित्थारा ॥ छन्चीसइ दारुची, आवस्सयवणियाणुगमे ॥२१९ ॥
नयवारे पज्जंते, सत्तनउत्ती तहेव सत्तण्हं ॥ माणे तह किरिवाए, मंतभावो विणिट्ठिो ॥२२० ।
चलइ रहो चक्केहिं, जह वोहि तह लहंति मुत्तिसुहं ॥ जिणसासमया भन्बा, सिग्धं वरनाणकिरियाहिं ।। २२१ ।।
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