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मुझे पूर्ण विश्वास है कि 'प्रौढ प्राकृत रचना सौरभ, भाग-1' के प्रकाशन से प्राकृत के अध्ययन-अध्यापन के कार्य को गति मिल सकेगी। मुझे सूचित करते हुए हर्ष है कि 'प्राकृत गद्य-पद्य सौरभ' शीघ्र प्रकाश्य है एव 'प्रौढ प्राकृत रचना सौरभ भाग-2' लेखन प्रक्रिया में है। इसके माध्यम से प्राकृत व्याकरण के क्रिया-सूत्र, सन्धि, समास आदि समझाये जा सकेगे।
पुस्तक के प्रकाशन की व्यवस्था के लिए जनविद्या संस्थान समिति का प्राभारी हूँ। अकादमी के कार्यकर्ता एवं मदरलैण्ड प्रिंटिंग प्रेस धन्यवादाह हैं।
कार्तिक कृष्ण अमावस्या, वीर निर्वाण दिवस वीर निर्वाण सं. 2526 7.11.99
डॉ. कमलचन्द सोगारणी
संयोजक जनविद्या संस्थान समिति
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