Book Title: Pratishthapath Satik
Author(s): Jaysenacharya, 
Publisher: Hirachand Nemchand Doshi Solapur

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Page 7
________________ श्रीवीतरागाय नमः। श्रीमदाचार्यवसुविंदु-अपरनाम जयसेनस्वामिविरचित प्रतिष्ठापाठः। हिंदीवचनिकया संकलितः। CONSTRECER-SACRIBECASTHAN RBIBABARSHIBAHARCHECERBASNEHEADOORN भाषाकारका मंगलाचरण । दोहा। ऋषभ आदि चउवीस मम, मंगल करहु जिनेश । जास चरण कज रज लगत, जाय विघ्न अरु क्लेश ॥१॥ पूर्वाचार्यपरंपरा जयवंतो जगमाहिं । वनौं ताकी शरण गहि भवभय नाहिं रहाहि ॥२॥ स्याहादादि पतीनिको वाक्-भानूदय होय । मिथ्यामत तम लोकमें, नहि प्रसरे जगमोह ॥३॥ अब श्री ग्रन्थकर्ता वसुविंदु नामाचार्य द्वितीय नाम जयसेन स्वामी इष्ट विशिष्ट आदीश्वर जिनकू नमस्कार करै हैं। Jain Education For Private & Personal Use Only elibrary.org

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