Book Title: Pramey Kamal Marttand Part 1 Author(s): Prabhachandracharya, Jinmati Mata Publisher: Lala Mussaddilal Jain Charitable Trust Delhi View full book textPage 9
________________ (८) मीमांसा श्लोक वात्तिकम्-याय रत्नाकराख्य व्याख्या सहित, श्रीमत् कुमारिल भट्ट पाद विरचित मूल मात्र ग्रन्थ है । चौखंबा सीरीज ग्रन्थमाला का मात्र तीन नंबर का पुष्प है, अति प्राचीन है, ई० सन् १८६८ का प्रकाशन, फतेहपुर (सीकर) राजस्थानके पुस्तकालय में है। अस्तु । इस प्रकार अनुवादका संवर्द्धनादि कार्य संपन्न होनेपर इसको–मुद्रित कहां पर कराना, द्रव्य प्रदाता आदिका भार सि० भू० पंडित रतनचंद जैन मुख्तारजी ने लिया । ग्रन्थ विशाल होने से इसको तीन भागों में विभक्त किया । राजस्थानमें मदनगंज-किशनगढ़ में ग्रन्थका मुद्रण कराना उचित समझा, संघ उत्तर प्रदेशमें और प्रेस राजस्थान में होनेके कारण पहले तो मुद्रण मंदगति से चला किन्तु अचानक ही संघ राजस्थान में पाया और चातुर्मास भी मदनगंज-किशनगढ़ में हुअा, इससे मुद्रण कार्य शीघ्रगतिसे होकर मार्तण्ड का यह प्रथम भाग पाठकों के हाथमें पहुंच रहा है, मेरे को इस कार्य पूर्ति पर प्रासीम हर्ष है, मेरी प्रार्थना पर इस अनुवादका शुभारंभ हुआ था जैसाकि वीर मार्तण्ड चामुण्ड राय की प्रार्थना पर सिद्धांत चक्रवर्ती श्री नेमिचन्द्राचार्य ने गोम्मटसारादि पंचसंग्रह की रचना की थी। पूज्या जिनमति माताजी के विषय में कौनसे स्तुति सुमन संजोए ? माताजीके विषयमें कुछ लिखना सूर्य को दीपक दिखाने सदृश है मेरे को उनके चरण सानिध्यमें रहते नौ वर्ष हुए हैं उनके गुणों का वर्णन करनेको मेरे पास बुद्धि नहीं । माताजीमें विनयादि गुण सुशोभित होते हैं इसी गुण रूपी वृक्ष पर यह अनुवादरूपी फल लगा है। इस ग्रन्थ को प्रकाशित करानेका श्रेय सिद्धांत भूषण पंडित रतनचंद जैन मुख्तारजी को है, यदि आप इसके प्रकाशनमें रुचि नहीं रखते तो क्या मालूम यह ग्रन्थ कितने समय तक अप्रकाशित ही रहता। यह भाषानुवाद स्वाध्याय प्रिय जनोंमें एवं विद्यार्थी वर्ग में बड़ा ही उपयोगी होगा, न्याय विषयक ग्रन्थ पढनेसे यह समझमें प्राजाता है कि जैनतर दार्शनिकों के सिद्धांतोंका मूल स्रोत सर्वज्ञ से संबंद्ध नहीं होनेसे एवं एकांत पक्षीय कथन होनेसे वे सिद्धांत अबाधित सिद्ध नहीं हो पाते । इत्यलम् -प्रायिका शुभमति Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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