Book Title: Prakrit Praveshika 1
Author(s): Prabhudas Bechardas Parekh, Prashamrativijay
Publisher: Pravachan Prakashan Puna

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Page 127
________________ पावयण नान्य प्रवचन शाख पवयण उत्तम व्याख्यान. सामिद्धि.. समृद्धि समिद्धि भाषाही. [5]=आ अंगार इंगार पयड वि. प्रकट पायड प्रगट. [५]=इ न. अङ्गार गारो. ई. वि. पक्व पाई. पिक पक्क हर हीर मज्झिम व मध्यम वय्येनुं. मुइंग न. मृदङ्ग ढोल बजा४. [1] =ई न. हर महादेव 8. 37 $26121: पढम पुढम पदुम पुढुम वीसुं व्य. विश्वक् यारे तरई. [3]=ए ना. वल्ली वेलडी. [६]=उ झुणि ध्वनि २२७ वेल्ली बल्ली सेज्जाना. शय्या पथारी. [4] =ओ नमोक्कार 1. नमस्कार नमस्डार. वि. प्रथम प परोप्पर २०५. परस्परम् अप्पू ओप्प् | પરસ્પર. घा. अप् [७] =मयनो मइय जलमय व जलमय जलमइय पाणी भय पुणाइ पुण २ ३ ४ [४] = आइ 2404.47: वणी, इरीथी. [5]=अ अंब न. आम्र भानुं आड, नान्य. डेरी. तम्ब नान्य ताम्र तांबु (स्व). जह भव्य यथा प्रेम. जहा अहव २. अथवा अथवा अहवा चमर चामर कुमर कुमार वर. कुमार D:\mishra\sadhu\prakrta.pm5/3rd proof २. आ ना ३२शरो न चामर यामर. पवह न प्रवाह प्रवाह पवाह वलेश [भाव वाय नाम] मरहट्ट न.. महाराष्ट्र मराठी. सामअ न. श्यामाक सामो २२८ [3] = लोप रण्ण नान्य. अरण्य अरण्ण भंगल, वन. लाऊ ना. अलाबू अलाऊ तुजडी ६ मंस ना. मांस मांस. पंडव न. पाण्डव पांडुनो पुत्र. [4]=इ आइरिअन आचार्य आयरिअ आयार्य. सया सइ [ग]=ई. थाण la. Fara elloj. ठीण खलीड वि. रासवाणु. अव्य सदा हमेशां खल्वाट [६]=उ ल्ल वि. आर्द्र ली. थुवअ वि. स्तावक स्तुति કરનાર सुण्हाल न सास्नावान् ५६.

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