Book Title: Prakrit Praveshika 1
Author(s): Prabhudas Bechardas Parekh, Prashamrativijay
Publisher: Pravachan Prakashan Puna

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Page 204
________________ ३८२ केवलि-परियागं पाउणित्ता मासियाए संलेहणाए, अप्पाणं "झूसित्ता सट्ठि भत्ताई अणसणाए च्छेएत्ता १ जस्स-ट्ठाए कीरइ । ___ णग्ग-भावे मुंड-मावे अ-पहाणए अ-दंतवणए केसलोए बंभ-चेरवासे अ-च्छत्तगं अणोवाहणकं भूमि-सेज्जा फलह-सेज्जा कट्ठ-सेज्जा पर-घर-पवेसा लद्धा-५ऽवलद्धं परेहिं हिलणाओ परिखिसणाओ णिदणाओ गरहणाओ तालणाओ तज्जमाणो परिभवणाओ पव्वहणाओ उच्चावया गाम-कंटका बावीसं परिसहोवसग्गा अहियासिंजंति । तमट्ठमाराहित्ता चरिमेहिं उस्सास-णिस्सासेहि सिज्झिहिति बुज्झिहिति मुच्चिहिति परिणिव्वाहिति सव्व-दुक्खाणमंतं करेहिति" ३८१ सण-भोगेहिं कामभोगेहिं ५ उवणिमंतेहिति ।। तए णं से दढ-पइण्णे दारए तेहिं विउलेहि अण्ण भोगेहि पाणभोगेहि, लेण-भोगेहिं वत्थ-भोगेहि सयण-भोगेहि काम-भोगेहिं णो ५°सज्जिहाति णो “ज्जिहिति णो गिज्झिहिति ९ णो अज्झोववज्जिहिति । से जहा-णामए-उप्प 'ल्ले इवा, पउमे इ वा, कुसुमे इ वा, नलिणे इ वा, सुभगे इ वा, सुगंधे इ वा, पोंडरिए इ वा, महापोंडरिए इ वा, सयपत्ते इ वा, सहस्स-पत्ते इ वा, सय-सहस्स-पत्ते इवा, पंके जाए जले संवुड्ढे णोवलिप्पइ पंक-रयेण णोवलिप्पइ जल-रयेण, एवमेव दढ-पइण्णे विदारए कामेहि जाए, भोगेहिं संवुड्डे णोवलिप्पिहिति काम-रयेणं, णोवलिप्पिहिति भोग-रएणं, णोवलिप्पिहिति मित्त-णाइ-णियग-सयण-संबंधि-परिजणेणं । से णं तहारूवाणं थेराणं अंतिए केवलं बोहिं बुज्झिहिति । केवल-बोहिं बुज्झित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइहिति । से णं भविस्सइ अणगारे भगवंते ईरिया-समिए भासा-समिए एसणा-समिए आदाण-भंड-६४मत्त-निक्खेवणा-समिए उच्चार"पासवण-"खेल-"सिंघाण-"जल्ल- परिहावणिया-समिए मण-गुत्ते वय-गुत्ते काय-गुत्ते "गुत्ते गुत्त-बंभयारी । ___ तस्स णं भगवंतस्स एतेणं विहारेणं विहरमाणस्स अणंते ७ अणुत्तरे "णिव्वाघाए “निरावरणे "कसिणे पडिपुण्णे केवल-वरणाण-दसणे समुप्पजिहिति । तए णं से दढ-पइण्णे केवली बहूई वासाई केवलि-परियागं पाउणिहिति । परि सि टुं-१० साहुणो महाप्पाणाओ संसार-भउव्विग्गा, भीआ, जम्मण-जर-मरण-करण'-गंभीरदुक्ख-पक्खुब्भिअ-उपर-सलिलं संजोग-विओग-वीची-चिन्तापसंग-पसरिअ-वह-बन्ध-महल्ल-विउल-कल्लोल-कलुणविलविअ-लोभ-कलकलन्तबोल-बहुलं अवमाणण-फेण-तिव्वखिसण-'पुलंपुल-"प्पभूअ-रोग-वेअण-परिभव-विणिवाय-फरुसघरिसणा-'समावडिअ-कढिण-कम्म-पत्थर-"तरंग-रंगत-निच्च D:\mishra sadhu prakrta.pm5/3rd proof

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