Book Title: Pragnapana Sutra Part 02
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 12
________________ [11] ****************4001 २४५ २५४ २५७ क्रमांक विषय पृष्ठ संख्या क्रमांक विषय पृष्ठ संख्या ५७. उत्कृष्ट प्रदेशी स्कन्धों के पर्याय १६६/५. ज्योतिषी देवों में श्वासोच्छ्वास ५८. मध्यम प्रदेशी स्कन्धों के पर्याय १६७| विरह काल २४५ ५९. जघन्य अवगाहना वाले पुद्गल · वैमानिक देवों में श्वासोच्छ्वास के पर्याय १६८/ विरह काल ६०. मध्यम अवगाहना वाले पुद्गल आठवां संज्ञा पद . २५४-२६२ के पर्याय १६९ ६१. जघन्य स्थिति वाले पुद्गल |१. उक्खेओ (उत्क्षेप-उत्थानिका) |२. संज्ञाओं के भेद के पर्याय २५४ ६२. जघन्य गुण काले पुद्गलों . ३. नैरयिकों में संज्ञाएं २५६ के पर्याय १७०/४. असुरकुमार आदि में संज्ञाएं २५६ नैरयिकों में संज्ञाओं का छठा व्युत्क्रांति पद , १७२ अल्पबहुत्व १. उक्खेओ (उत्क्षेप-उत्थानिका) । ६. तिर्यंच योनिकों में संज्ञाओं २. प्रथम द्वादश द्वार ३. द्वितीय चतुर्विंशति द्वार का अल्पबहुत्व ४. तीसरा सान्तर द्वार मनुष्यों में संज्ञाओं का अल्पबहुत्व ५. चौथा एक समय द्वार . ६. पांचवां कुतो द्वार . १९३/८. देवों में संज्ञाओं का ७. छठा उद्वर्तना द्वार अल्पबहुत्व २६१ ८. सातवां परभविकायुष्य द्वार २३१ नववा योनि पद २६३-२७९ ९. - आठवां आकर्ष द्वार २३५ /१. उक्खेओ (उत्क्षेप-उत्थानिका) २६३ सातवां उच्छ्वास पद २४१-२५३ /२. शीत आदि तीन योनियां १. उक्खेओ (उत्क्षेप-उत्थानिका) २४१ /३. नैरयिक आदि में शीत २. नैरयिकों में श्वासोच्छ्वास काल २४१] आदि योनियाँ ३. असुरकुमार आदि देवों में ४. सचित्त आदि तीन योनियाँ श्वासोच्छ्वास विरहकाल २४२ ५. नैरयिक आदि में सचित्त आदि ४. . थ्वीकायिक आदि में तीन योनियाँ श्वासोच्छ्वास विरह काल २४४ ६. संवृत्त आदि तीन योनियाँ २५८ २६० २२४/ २६४ . २७० Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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