Book Title: Pragnapana Sutra Part 02
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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२४५
२५४
२५७
क्रमांक विषय पृष्ठ संख्या क्रमांक विषय पृष्ठ संख्या ५७. उत्कृष्ट प्रदेशी स्कन्धों के पर्याय १६६/५. ज्योतिषी देवों में श्वासोच्छ्वास ५८. मध्यम प्रदेशी स्कन्धों के पर्याय १६७| विरह काल
२४५ ५९. जघन्य अवगाहना वाले पुद्गल
· वैमानिक देवों में श्वासोच्छ्वास के पर्याय
१६८/ विरह काल ६०. मध्यम अवगाहना वाले पुद्गल
आठवां संज्ञा पद . २५४-२६२ के पर्याय
१६९ ६१. जघन्य स्थिति वाले पुद्गल
|१. उक्खेओ (उत्क्षेप-उत्थानिका)
|२. संज्ञाओं के भेद के पर्याय
२५४ ६२. जघन्य गुण काले पुद्गलों .
३. नैरयिकों में संज्ञाएं
२५६ के पर्याय १७०/४. असुरकुमार आदि में संज्ञाएं
२५६
नैरयिकों में संज्ञाओं का छठा व्युत्क्रांति पद , १७२
अल्पबहुत्व १. उक्खेओ (उत्क्षेप-उत्थानिका) ।
६. तिर्यंच योनिकों में संज्ञाओं २. प्रथम द्वादश द्वार ३. द्वितीय चतुर्विंशति द्वार
का अल्पबहुत्व ४. तीसरा सान्तर द्वार
मनुष्यों में संज्ञाओं का
अल्पबहुत्व ५. चौथा एक समय द्वार . ६. पांचवां कुतो द्वार .
१९३/८. देवों में संज्ञाओं का ७. छठा उद्वर्तना द्वार
अल्पबहुत्व
२६१ ८. सातवां परभविकायुष्य द्वार २३१ नववा योनि पद २६३-२७९ ९. - आठवां आकर्ष द्वार
२३५ /१. उक्खेओ (उत्क्षेप-उत्थानिका) २६३ सातवां उच्छ्वास पद २४१-२५३ /२. शीत आदि तीन योनियां १. उक्खेओ (उत्क्षेप-उत्थानिका) २४१ /३. नैरयिक आदि में शीत २. नैरयिकों में श्वासोच्छ्वास काल २४१] आदि योनियाँ ३. असुरकुमार आदि देवों में
४. सचित्त आदि तीन योनियाँ श्वासोच्छ्वास विरहकाल २४२ ५. नैरयिक आदि में सचित्त आदि ४. . थ्वीकायिक आदि में
तीन योनियाँ श्वासोच्छ्वास विरह काल २४४ ६. संवृत्त आदि तीन योनियाँ
२५८
२६०
२२४/
२६४
.
२७०
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