Book Title: Pat Darshan
Author(s): Kalpana K Sheth, Nalini Balbir
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 33
________________ पियलागो मकरता केतलाएकदिवसथया तिवारेंरा जाने-अंतअवलाआधी तिवारेंराजामीसीदावलजी उप रंगामणकर हसिनेसारसी एस्विच राजानं नाकाम देदरामा चनधेिसमोरारजा धानसमामी गयु तिवारंराजानतीजचआयुबाधाय तेरामा मेरिन साथयो अनेसी-असारसी बस्त्री वैराग्यधामीचा रित्रतिमें कालकरीने सोधमदिवलोकेश्वनाथया ते! प्राधि-अंगसणकरीने देवताथच्या अधिशानेजो यु पोनानान्तरतारनेसानोअवतारजागी समानेष तिबोधदिधोमूपादेवंगनानामुषथीमाताम्वरूयन एणीअगसणकरीसाधर्मदेवानोकै देवताथयातिनित सचरामानोजीव मृगजराजानोयुनकरामनामंथयो सकराजयीघरासमेंजितियोता_राम्पलीक दिवसथाहतार्थनमाम जयरथयुवलिनधा यरीजेरामशेष तेरनेजीतीनियरिणपदवास्वा माटेसेंज शक्तिकदीईएनानिविसेषरनामेंराजा एतीर्थना शनिकरीने मनिागलेंपोतानापायचितमालानण ने संजमानेने असणकरीराजामुगतेंगटो श्री निवेदनमानें वजनानकष १५सोलगयाघरसाकत्रि एलाप अमितजीपमषबानापत्रिसहजासाधचीबेला बनानीसहजारश्राद्धक पाचलाषसत्ताधीसहजाराचा काएकहजारसुरुषसाथदिकालीधी साहाविएसेंधमूष रहमान पंचासलाययुर्वनाम कंचनवर्ण कपिलबन जारमनीराजसंघातमागसएकरी श्रीसमेतसिमसिः धपदनेवस्वारहवाश्रीअनिन्दनस्वामि नमस्कारका नमोस्तीसिहावनायनमानमःधानीश्वी) मूल पाठ हवें चोथा श्री अभिनंदन स्वामि। श्री सिद्धाचलजी आवी समोसरया। च्यार निकायना देवता समवसरणनि रचना करि। श्री अभिनंदन स्वामि त्रीगडें बेसि श्री सिद्धाचलजीनो माहातम प्ररुपुं। अनेक भव्य प्रांणि श्री सिद्धाचलजीनो मोटो महिमा जांणि, चारित्र लेइ अणसण करी मोक्ष पोहता। श्री सिद्धाचल नाम छे, ते गुणें नाम छ। ए तिर्थने विषे अतित कालें, अनागत कालें, वर्तमान कालें ए त्रिीण कालने विषे अनिता तिर्थंकर, अनंता गणधर, अनंता आर्चार्ज, अनंता उपाध्याय, अनंता मुनिरा(य), अनंति साधवीओ, अनंता श्रावक, अनंति श्राविका ए तीर्थने विषे सिध थया. परम पद पांम्यां। तेतला माटे सिद्धाचल पर्वतें श्री पंडरिक गणधर सीध वरर दिवसथी ए तीर्थY नाम पुंडरीकः। श्री अभिनंदन प्रभुने वारें शेजूंजय एहवू नाम थयुं ते कहे छ। 26 पटदर्शन

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