Book Title: Pat Darshan
Author(s): Kalpana K Sheth, Nalini Balbir
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 79
________________ रखेगलिममा श्रीमल्लिनाथपरमेसरजी:त्रियापपुरुषसंघात बत अहावीसायाधर चालिसहजारमनी पंचावनहजारसाधवीart एकनाघानेवासिहजाराचक त्रिष्यलावसानेरहजारमाधिकाः चवीसधनूषदेहमान मिलनऊंनलंबन पंचाधनहजारनपआयु निधरतानीसिधाचलमधास्या सास्वत्तोतिविधिी श्रीसमेतसिघरे अपरें:यांचस्पेमनीसंघातेसिध्यदोवस्या। मापोहतानमास्ता श्रीसिधगिरीने नमोनमः ॥रथा श्रीः श्री:॥ श्री श्री: LANGSAC मूल पाठ हवे ओगणिसमाः श्रीमल्लिनाथ परमेसरजीः। त्रिणस्यें पुरुष संघातें व्रत, अट्ठावीस गणधरः, चालिस हजार मुंनी, पंचावन हजार साधवीः, एक लाख अनें त्रासि हजार श्रावक, लाख सीत्तेर हजार श्राविका। पंचवीस धनूष देहमान, निल वर्ण, कुंभ लंछन, पंचावन हजार वर्ष आयु, विचरतां श्री सिधाचल, धारया। सास्वतो तिर्थ वर्णवी, श्री समेतसिखरें उपरें पांचस्यें मुनी संघाते सिधपदनें वरया। मोक्षं पोहताः। नमोस्तुः श्री सिधगिरीनेः नमोनमः।191श्रीः श्रीः श्रीः श्रीः। हिन्दी अनुवाद 19. मल्लिनाथजी आपने 300 पुरुषों के साथ दीक्षा अंगीकार की थी। आपके परिवार में 28 गणधर थे। 40,000 साधु, 55,000 साध्वियां, 1,83,000 श्रावक और 3,70,000 श्राविकाएं थीं। आपका देहमान 25 धनुष ऊंचा था। आपका वर्ण नील है। आपका लांछन कुंभ (कलश) है। आपकी कुल आयु 55,000 वर्ष की थी। विचरण करते हुए आप सिद्धाचलजी पधारें। भव्य जीवों को शाश्वत तीर्थ का माहात्म्य समझाया। अपना निर्वाण काल समीप जानकर 500 मुनियों के साथ सम्मेतशिखर पधारें। वहां अनशन व्रत ग्रहण किया और मोक्ष प्राप्त किया। श्री सिद्धगिरि को भावपूर्वक वंदन। उन्नीसवें तीर्थंकर श्री मल्लिनाथजी को भक्ति-भावपूर्वक वंदन। Transliteration //havehoganisamah sriMallinatha-pamcavana sarajih/trina syem purusa-samghtem vrata. atthavisa ganadharah, calisa hajara mumni, pamcavana hajara sadhavih, eka lasa anem trasi hajara sravaka, trinya lasa sittera hajara sravika, pamcavisa dhanusa deha-mamna, nila-varna, kumbha-lamchana, pamcavana hajara varsa au. vicarata sriSiddhacala padharya, sasvato tiratha varnavi sriSameta-sisare uparemh pamca syem muni samghate. sidha-pada nem varya. moksem pohatah. namo stu sriSidhagiri nemh namo namah // 19// srih srih // srih // srih // 72 पटदर्शन

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