Book Title: Pat Darshan Author(s): Kalpana K Sheth, Nalini Balbir Publisher: Jain Vishva BharatiPage 93
________________ MEANING हवामाश्रीपार्श्वनाथजीनाममायणस्पंपूरुषसंवा दसर्ग सोलारमनिअमीसहमारमावि एकलाषाबोसच्द जाराकत्रिएलायसन्नावीसजार,श्राविका नवाथसरिर मान एकसानरसनाम निलवानागलंबन विचरताश्रीसिका चलजीन्याधीमें गिरिराजनोधर्यवकस्वा श्रीपार्श्वनाथजीवाशय करता मधीसमनिसंघान्तः श्रीसमेसिषरेमिधपदनस्वाम उपवस्वान्नमास्तविमलगिरीनेननस्तित्रीपार्श्वनाथन प्रीमिशिरानवमस्कारदापा मूल पाठ हवे त्रेवीसमा श्री पार्श्वनाथजी नमोनमः। त्रणस्ये पुरुष सुं व्रत। दस गणधरः, सोल हजार मुनि, अडत्रीस हजार साध्वि, एकलाख चोसठ्ठ हजार श्रावक, त्रिणलाख सत्तावीस हजार श्राविका। नव हाथ सरिरमानं, एकसो वरसनूं आउ, निल वर्ण, नाग लंछन। विचरतां श्री सिद्धाचलजी आवीनें गिरिराजनो वर्णव कर्यो। श्रीपार्श्वनाथजी वीहार करतां तेत्रीस मुनि संघातेः श्रीसमेतसिखरें सिद्धपदने वऱ्याः, मोक्षपद वऱ्या। नमोस्तु विमलगिरीनेः, नमोस्तु श्री पार्श्वनाथनेंः। श्री सिधगिरी नमस्कार होज्यो। हिन्दी अनुवाद 23. पार्श्वनाथजी आपने 300 पुरुषों के साथ प्रव्रज्या ग्रहण की थी। आपके परिवार में 10 गणधर, 16,000 साधु, 38,000 साध्वियां, 1,64,000 श्रावक और 3,27,000 श्राविकाएं थीं। आपका देहमान 9 हाथ ऊंचा था। आपका वर्ण नील है। आपका लांछन नाग (सर्प) है। आपकी आयु पूरे एक सौ वर्ष की थी। क्रमशः विचरण करते आप सिद्धाचलजी पहुंचे। आपने देशना में गिरिराज का वर्णन किया। विचरण करते हुए आप 33 मुनियों के साथ सम्मेतशिखरजी पहुंचे। वहां से आपने सिद्धपद-मोक्षपद प्राप्त किया। श्री विमलगिरि को भावपूर्वक वंदन। तेईसवें तीर्थंकर श्री पार्श्वनाथजी को भक्ति-भाव पूर्वक वंदन। Transliteration //havem trevisama sriParsvanathaji namo namah / trana syem purusa sum vrata, dasa ganadharah, sola hajara muni, adatrisa hajara sadhavi, eka lasa cosattha hajara sravaka, trina lasa sattavisa hajara sravika, nava hatha sarira-mamna, eka so varasa num au, nila-varna, naga-lamchana. vicarata sriSiddhacalaji avinem giri-raja no varnava karyo, sri Parsvanathaji vihara karata tetrisa muni samghatemh SriSameta-sisarem sidha-pada nem varyah // moksa-pada varya, namo stu Vimalagiri nemh, namo stu SriParsvanatha nem // SriSidhagiri na<va>maskara hojyo. 86 पटदर्शनPage Navigation
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