Book Title: Pat Darshan Author(s): Kalpana K Sheth, Nalini Balbir Publisher: Jain Vishva BharatiPage 55
________________ हाइपारमानीटासपनजी एकहजारयूषसंदिदा कस्तनपाएगानेरगाधराचौरासिहजारमनिराजधाराण प्रमएकाला त्रिसहजारसाधवी बनाषगएिप्ससीहजार वक च्यारलाषमतालीसहजारश्राविका सिधनषदेव मान चोरासीलाषघरसयूआ कनवरणसरीर धंगलंब नएवाश्रीयंसपरमेश्वरजी:श्रीविमनाचलगिरीसधास श्रीविमलालमोवर्णनकस्यो। विहारकरता एकहजारसुर बसंघान्नेसमेंतसिषरेमोक्षपदवरानमोस्तविमलगिरीरा जश्रीसिावलजीनेनमस्कारहजोगाथा श्री श्री मूल पाठ हवे इग्यारमा श्री श्रेयांसप्रभुजी। एक हजार पु(रु)ष सुं दिक्षाः, कस्तुभ प्रमुख छ्योतेर गणधरः, चौरासि हजार मुनिराज, धारणि प्रमुख एक लाख त्रिस हजार साधवी, 3 लाख उगणियासी हजार श्रावक, च्यार लाख अडतालीस हजार श्राविका। अॅसि 80 धनूष देहमान, चोरासी लाख वरसनूं आउं, कंचन वरण सरीर, खंडग लंछन। एहवा श्री श्रेयस परमेश्वरजीः श्री विमलाचलगिरीइं पधारया। श्री विमलाचलनो वर्णव करयोः। विहार करतां एक हजार पुरुष संघातें समेतसिखरें मोक्ष पद वरया। नमोस्तु विमलगिरी राज श्री सिधाचलजीने नमस्कार हजोः। 11श्रीः श्रीः। हिन्दी अनुवाद 11. श्रेयांसनाथजी आपने 1,000 पुरुषों के साथ प्रव्रज्या ग्रहण की थी। आपके परिवार में कौस्तुभ (गोशुभ), प्रमुख 76 गणधर थे। 84,000 साधु, धारिणी प्रमुख 1,30,000 साध्वियां, 2,79,000 श्रावक और 4,48,000 श्राविकाएं थीं। पटदर्शनPage Navigation
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