Book Title: Pat Darshan Author(s): Kalpana K Sheth, Nalini Balbir Publisher: Jain Vishva BharatiPage 63
________________ वेवाग्दमानंतनाथमावान: एकरमारपुरुषस्वसनिक जमयमषपदासगराधा पचासहजारमनिःपद्यावतिपतषबा सरजारमाधवी वेलाषनजारनायक पारलाषदसहजारश्राविका पंचासघनपदेहमान धिमालापवरसन्नायु कंचनवर्णसिंधागोलंब न विचरतानीसिधाधलजाइमाच्या श्रीवामलाचलघर्गवि विहार करता सातहमास्युरुषसं श्रीसमेतसिपरेसिघणवस्या ब्रीअनं तनाथ जिनेश्वरनेवाऽबनमोस्तसकानतीर्थराजपुरुरिकगि रिराजनेनमस्कारोज्योरा मूल पाठ हवे चोउदमाः अनंतनाथ भगवान्ः। एक हजार पुरुष स्युं व्रत लिधुं। जस प्रमुख पंचास गणधर, पचास हजार मुनि, पद्मावति प्रमुख बासठ्ठ हजार साधवी, बेलार हजार श्रावक, च्यार लाख दस हजार श्राविका। पचास धनूष देहमांन। त्रिस लाख वरस, आयु, कंचन वर्ण, सिंचाणो लंछन, विच . श्री सिधाचलजीइं आव्या। श्री वीमलाचल, वर्णवि विहार करतां सात हजार पुरुषस्युं श्रीसमेतसिखरें सिधपद वऱ्या। श्री अनंतनाथ जिनेश्वरनें वांदु छु। नमोस्तु सकल तीर्थराजने पुंडरिक गिरिराजने नमस्कार होज्यो।14। हिन्दी अनुवाद 14. अनंतनाथजी आपने 1,000 पुरुषों के साथ प्रव्रज्या ग्रहण की थी। आपके परिवार में जश (यश) प्रमुख 50 गणधर थे। 50,000 साधु, पद्मावती प्रमुख 62,000 साध्वियां, 2,06,000 श्रावक और 4,10,000 श्राविकाएं थीं। ___आपका देहमान 50 धनुष ऊंचा था। आपका वर्ण कंचन (सुवर्ण) है। आपका लांछन सिंश्येन है। आपकी कुल आयु पूरे तीस लाख साल की थी। विचरण करते हुए आप श्रीसिद्धाचलजी पधारें। अपनी देशना में विमलाचल की महिमा प्ररूपित की। अपना निर्वाण समय नजदीक जानकर आपने 7,000 साधुओं के साथ सम्मेतशिखर पर एक मास का अनशन व्रत ग्रहण किया और निर्वाण प्राप्त किया। सकल तीर्थराज श्री पुंडरीक गिरिराज को भावपूर्वक वंदन। चौदहवें तीर्थंकर श्री अनंतनाथजी को भक्ति-भावपूर्वक वंदन। Transliteration // havem coudamah Anantanatha-bhagavanh eka hajara purusa syum vrata lidhum. Jasapramusa pacasa ganadharah, pacasa hajara munih, Padmavati-pramusa basattha hajara sadhavi, be lasa cha hajara sravaka, cyara lasa dasa hajara sravika, pamcasa dhanumsa deha-mamna, trisa lasa varasa num ayum, kamcana-varna, simcano-lamchana. vicarata sriSidhacalajiim avya. sri Vimalacala varnavi vihara karata sata hajara purusa sum sriSameta-sisarem sidha-pada varya. sriAnantanatha-jinesvara nem vamdum chum. namo stu sakala tirtha-raja nem Pundarika-giriraja nem namaskara hojyo // 1411 56 पटदर्शनPage Navigation
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