Book Title: Pat Darshan
Author(s): Kalpana K Sheth, Nalini Balbir
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 49
________________ नवमात्रीशुधधिमाथजी परमेश्वरजीराकहजार युरुषसता बालीकावारापासीगणधरबेलाघमुगावारुणिमु| एकलाविसहजारसाधवी बेलाषगराधिसहजारश्रावक पारलाश्कोतरमारमाविका एकसोधनषदहमानला पश्चायु स्वेतवर्ण मगरलंबन विवरता श्रीसिछाचलन याव्याश्रीसिवायलजीनेटरी एकहजारसंघातें श्रीस Haसिघर सिधपवस्वाः नमोस्तःश्रीसिघाडी:श्रीविमल एलजीनीनमस्कारहजारणा मूल पाठ नवमा श्री श्रुवधिनाथजीः परमेश्वरजी। एक हजार पुरुष संघाते व्रत लीधुंः। वाराह प्र(मु)खः एसी गणधर। बे लाख मु(नि) ग(?) वारुणि प्रमुखः एक लाख विस हजार साधवी, बे लाख ओगणत्रिस हजार श्रावक, च्यार ला(ख) इकोतर हजार श्राविका। एकसो धनूष देहमान, बे लाख पूर्व- आयुं, स्वेत वर्ण, मगर लंछन। विचरतां श्री सिद्धाचलजीइं आव्या। श्री सिद्धाचलजी भेटी एक हजार पुरुष संघाते श्रीसमेतसिखरे सिधपद वरयां। नमोस्तुः श्री सिद्धाद्रीः। श्री विमलाचलजीनेः नमस्कार हज्योः।9 हिन्दी अनुवाद 9. सुविधिनाथजी आपने 1000 पुरुषों के साथ प्रव्रज्या ग्रहण की थी। आपके परिवार में वराह प्रमुख 80 गणधर थे। 2,00,000 साधु, 1,20,000 साध्वियां, 2,29,000 श्रावक और 4,71,000 श्राविकाएं थीं। पटदर्शन

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