Book Title: Parmatmaprakash
Author(s): Yogindudev, A N Upadhye
Publisher: Paramshrut Prabhavak Mandal

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Page 15
________________ जोइंदु-विरइउ [ 122 : १-१२०___122) राएँ रंगिए हियवडए देउ ण दीसइ संतु। दप्पणि मइलए बिबु जिम एहउ जाणि णिभंतु ॥१२०॥ 123) जसु हरिणच्छी हियवडए तसु णवि बंभु वियारि । एक्कहिँ केम समंति वढ बे खंडा पडियारि ।। १२१।। 124) णिय-मणि गिम्मलि णाणियह णिवसइ देउ अणाइ। हंसा सरवरि लीण जिम महु एहउ पडिहाइ ।।१२२॥ 125) देउ न देउले गवि सिलए णवि लिप्पइ णवि चित्ति । अखउ णिरंजणु णाणमउ सिउ संठिउ सम-चित्ति ॥१२३॥ 126) मणु मिलियउ परमेसरह परमेसरु बि मणस्स । बोहि वि समरसि-हूवाह पुज्ज चडावउँ कस्स ।।१२२*२।। 127) जेण णिरंजणि मण धरिउ विसय-कसायहिँ जंतु । मोक्खह कारणु एत्तडउ अण्णु ण तंतु ण मंतु ।।१२३*३।। [ २. बिज्जउ अहियारु] 128) सिरिगुरु अक्खहि मोक्खु महु मोक्खह कारणु तत्थु । मोक्खह केरउ अण्णु फलु जे जाणउ परमत्थु ॥१॥ 129) जोइय मोक्ख वि मोक्ख-फलु पुच्छिउ मोक्खह हेउ । सो जिण-भासिउ णिसुणि तुहुँ जेण वियाणहि भेउ ।।२।। 130) धम्महँ अत्थह कामह' वि एयह- सयलह मोक्खु । उत्तमु पभणहि णाणि जिय अण्णे जेण ण सोक्खु ।।३।। 131) जइ जिय उत्तमु होइ णवि एयह- सयलह- सोइ। तो किं तिणि वि परिहरवि जिण वच्चहि पर-लोइ ।।४।। 132) उत्तमु सुक्खु ण देइ जइ उत्तमु मुक्खु ण होई । तो किं इच्छहि बंधणहि बद्धा पसुय वि सोइ ।।५।। 122) TKM रंगियहियवडये (ए ?) दप्पणे मइलए. बिंबु जेव, जाणु; C एहू for एहउ. 123) Wanting in TKM; B परियारि, पडिहारि for पडियारि. 124) TKM णियमणे णिम्मले, जेव for जिम, तुहु एहउ 125) BG देउलि सिलइ; TKM लेप्पइ. अखउ णिरामउ''संतिउ समचित्तें. 126) Wanting in TKM; B समरसहूयाइ. 127) Wanting in TKM. 128) Winting in TKM; C सोक्खहं for मोक्खहँ; B मुक्खह for second मोक्खह, जिम for जे. 29) TKM मोक्खु जि मोक्खु; c विआणिउ. 130) TKM have no nasal signs, उत्तिम अणि for अण्णें. 131) TKM; Brahmadava's reading सोवि; TKM वच्चइ; C परलोउ. 132) Wanting in TKM.; B ता for तो; C अच्छहिं बंधहिं; 8 पसुव वि c पसुवि वि. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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