Book Title: Panchgranthi 108 Bol Sangraha Shraddhanajalpattak Adharsahasshilangrath Kupdrushtantvishadikaran Kaysthitistavan
Author(s): Yashovijay Gani, Yashodevsuri
Publisher: Yashobharti Jain Prakashan Samiti

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Page 80
________________ अढारसहस शीलांग रथ ४८ इच्छाकारेण जुओ ए पद साथई इम मिच्छाकारेण जुओ इत्यादिक १० पदस्युं गुणतां १०० गाथा थाई । ए सु इरिया पद साथई भेद थया । इम सुभासाए इत्यादिक ५ पदस्यु फेरवतां ५०० गाथ थाई। ___ए भेद पेहा संयम जुओ ए पद साथई, इम उवेहा संयम जुओ इत्यादिक ४ पद साथै गुणतां २ हजार (२०००) गाथा थाई। पेहा संयण ते जे आंखि जोइनई बीजहरितादिक रहित स्थनकई हीडवु रहेQ करिई। उपेक्षासंयम क० गृहस्थ पापव्यापार करतो होई तेहनी उपेक्षा करवी, अथवा साधुसंयमइ सीदाता होई तेहनी प्रेरणा ते प्रेक्षा, पासत्थादिक निद्धंस व्यापार करतां होई तेहगें उवेषq ते उपेक्षा संयम, पगप्रमुखy रजोहरणइ पुंजवू, ते प्रमार्जना संयम, परठववु विधि करवू, ते परिष्ठापना संयम ए २ हजार (२०००) भेद मणसाए पद साथें, - इम वयसा, तणुणा ए पद साथिं गुणतां ६ हजार (६०००) गाथा थाई । ए हिंसइ ण सयं ए पद साथई, इम हिंसावई नो मणसा मे पद साथई ६ हजार (६०००), हिसंतंणणुमन्नइ ए पद साथइ ६ हजार सर्व मिली १८ हजार (१८०००) गाथा थाई। [५] इति संयमरथांग सम्मत्तं ॥ छ । [इति पञ्चमः संयमरथांगगाथार्थसंक्षेपः] हवई धर्भरथनो विचार लिखिई छई

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