Book Title: Panchgranthi 108 Bol Sangraha Shraddhanajalpattak Adharsahasshilangrath Kupdrushtantvishadikaran Kaysthitistavan
Author(s): Yashovijay Gani, Yashodevsuri
Publisher: Yashobharti Jain Prakashan Samiti

View full book text
Previous | Next

Page 88
________________ अढारसहस शीलांग रथ ५६ तेऊ लेसमणा ए पद साथि, इम जो पउलेस जो सुक्कलेस ए पदस्यु ६ हजार (६०००) त्रिगुणा करतां १८ हजार (१८०००) थाइ ॥ ए एतले शुभ लेश्यारुचि रथ सम्मत्तं ॥ छ [१२] [ इति द्वादशः शुभलेश्यारुचिरथगाथार्थसंक्षेपः ] हवे पञ्चक्खाणरथy विवरण कीजई छई ___ गाहा ॥ नाणविऊविय मणसा पिंडत्थाज्ज्ञाण समाइयवयलीनो । णवकारसहिमणागयं कया करिस्सामि भावेणं ॥१॥ [१३] अर्थ-नाण विऊविय मणसा कहितां ज्ञाननो जाणनार थको पणि पिंडत्थ क० पिंडस्थ ध्यान आनई सामायिक चारित्र ए बिहुमां लीन थको नवकार सहित अनागत पञ्चक्खाण किवारई करीसिं भावईकरीनई एहवं साधु चिंतवई ते जयपंती पत्तों ॥ १ ॥ ए गाथा अतिक्रान्तादिक पद साथिं गुणतां १० गाथा थाई । नोकारसी प्रमुख मांहि पणि अपेक्षाई १० भेद अनागतादि कहवाई जिम नवकार सहिस्यु १० भेद तिम पौरषी प्रमुखस्यु पिण १० भेद, ते दस दस गुणित करतां १०० गाथा थाइ', ते सामायिक प्रमुख ५ चारित्रस्युं गुणतां ५०० गाथा थाई। इम पिंडस्थादिक ४ ध्यानस्युं गुणतां २ हजार गाथा थाई', ते मणसा ए पद साथइ इम वयसा इम तणुणा २ ए पद साथइ गुणतां २ हजार (२०००), त्रिगुणा करतां ६ हजार (६०००) गाथा थाई । ते नाण विऊए पद साथे, इम आगम विऊय युत्त विऊ ए पद साथें गुणतां १८ हजार गाथा थाई। इहां ज्ञान ते अवधिज्ञानादिक, आगम ते १० पूर्घादिक, सुत्त ते बीजु श्रुतज्ञान लेवू । ३

Loading...

Page Navigation
1 ... 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140