Book Title: Panchgranthi 108 Bol Sangraha Shraddhanajalpattak Adharsahasshilangrath Kupdrushtantvishadikaran Kaysthitistavan
Author(s): Yashovijay Gani, Yashodevsuri
Publisher: Yashobharti Jain Prakashan Samiti
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महोपाध्याय श्रीमद् घशोविजय जी कृत बाहुबलिनई बहिन मोकली भरत आरिसा यरि वली
केवली कीधा अठावन सुत तथा ए.८ गज खंधई मरुदेवा ए मोकल्यां सिवसुख लेवा ए
देवा ए मुझनइं अजर ते सइकरो ए.९ माहरां ताहरां हुं नही सहुं आडो मांडी नइरहुं
जे कहुं ते सघलुं प्रमु सांसहो ए. १० छोरू छु मांलो कालो ए जे मांगु ते आलो ए
झालो ए साहिब बांहि मयालुआ ए. ११ जण्या तेह ज नहीं बेटा ए मान्या ते झालइ फेटा ए मोटा ए माहरू ताहरू न करी
सकइं ए १२ चरण चाकरी नवि त्यजूं शिव सुख प्रापति ताई भजु
इम सजु भगति सुख 'जस' गुण दिओ ए
ढाल-२ (राग केदारो)
इम निश्चयनय सांभलो जी-ए देसी आदि अनादि निगोदमारे अव्यवहारि निवास, पुद्गल मई परावर्तिया रे अनंत अनंत अभ्यास
. सोभागी जिन ! वीनतडी अवधारी.(ए आंचली) समकबाहार मोहारत्यां रे समवलि श्वास उश्वास,
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