Book Title: Panchgranthi 108 Bol Sangraha Shraddhanajalpattak Adharsahasshilangrath Kupdrushtantvishadikaran Kaysthitistavan
Author(s): Yashovijay Gani, Yashodevsuri
Publisher: Yashobharti Jain Prakashan Samiti
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अढारसहस शीलांग रथ
गृहीत आहार पाणी प्रमुखई साधुवई निमंत्रQ ते छंदना ८ । अणग्रहिइ पहिला ज निमंत्र ते निमंत्रणा ९ । उपसंपदा ते जे ज्ञानादिकनई अर्थइ निश्रा करवी. १० ।
ए १० गाथा पुढवि जिए ए पद राखतां थई १० । इम आउ जिए इत्यादिक १० पदई १०० गाथाई थाइं । ए इरियासमिओए पदस्युं, इम भासा समिओ इत्यादिक पदस्युं गुणतां ५०० । एए समिय कोहो ए पद साथइ इम पसमियमाणो इत्यादिक ४ पद परावृत्ति २ हजार (२०००) ए सन्नाणी पद साथि, इम समद्दिट्ठी सच्चरणी साथइ गुणतां ६ हजार (६०००) थाई। सद्दिट्ठ कहतां सम्यग्दृष्टी सञ्चरणी कहतां भला चारित्रवत ए ६ हजार (६०००) मणगुत्तो ए पद साथि, इम वयगुत्तो ए पदस्युं गुणतां १८ हजार (१८०००) गाथा थाई। ए सामाचारी रथनो अर्थ सम्मत्तं ॥ छ । [४]
[ इति चतुर्थः दशविधचक्रवालसामावारीरथगाथाथसंक्षेपः ] हवइ संयम रथांगनो विवरो लिखिइ छइ -
गाहा ॥ हिसइ न सयं मणसा, पेहासंजमजुओ सुहरियाइ । इच्छाकारेण जुओ, जावजीवं पुढवीकार्य पि ॥ १ ॥
अर्थ-हिंसइ न सयं क० पोतई मणसाहिंसानइ करीनइ', पहा संयम जुओ कहितां प्रेक्षा संयमई सहित सु, इरिया ए क.. भली ईर्या समिति, इच्छाकारेण जुओ क० इच्छाकार सामाचारीइ करीने सहित जावजीवतांई पृथिवीकायनई एहवा साधुन नमस्कारइ हो ॥ १ ॥ पुढविकाय ए ठामइ आउकायं इत्यादि परावृत्ति करतां १० गाथा थाई। ..
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