Book Title: Panchastikay
Author(s): Kundkundacharya, Shreelal Jain Vyakaranshastri
Publisher: Bharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad

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Page 4
________________ आस्रव पदार्थ कथन प्रशस्त रागका स्वरूप अनुकम्पा का स्वरूप चित्तकी कलुषता का स्वरूप पापानव संवर पदार्थ का सामान्य विशेष स्वरूप निर्जरा पदार्थ मुख्य निर्जरा का कारण ध्यानका स्वरूप ३२८ | बंध पदार्थ का कथन ३५२ ३३० । मोक्ष पदार्थ व्याख्यान ३५७ ३३२ | मोक्षमार्ग प्रपंच सचिका चलिका ३६७ ३३३ सब संसारी जीव मोक्षमार्ग के अधिकारी नहीं ३८६ ३३९ । पा राग का भी नाश करने का उपदेश ३९५ ३४४ शास्त्र का तात्पर्य ३४६ | ग्रन्थ समाप्ति सूचना ४०९ ३४७ ४०१

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