Book Title: Panchastikay Author(s): Kundkundacharya, Shreelal Jain Vyakaranshastri Publisher: Bharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad View full book textPage 3
________________ विषय सूची ०९ विषय सिद्धान्त सूत्र १९० मूल गाथाएँ १-८ | प्रभुत्वगुण का व्याख्यान मंगलाचरण ५ | जीव के भेद २०४ आगम को नमस्कार १६ । पुद्गलास्तिकाय का व्याख्यान समय शब्द की व्याख्या और लोक अलोक का पुद्गल के भेद परमाणु एक प्रदेशी है विभाग १९ | पुद्गल के समस्त भेदों का उपसंहार पंचास्तिकायों की विशेष संज्ञा अस्तित्व और धर्माधर्म द्रव्यास्तिकाय वर्णन कायत्व का वर्णन २५ 'धर्म द्रव्य का स्वरूप २३५ पंचास्तिकाय और काल की द्रव्य संज्ञा अधर्म द्रव्य का स्वरूप २३८ छहों द्रव्यों का भिन्न-भिन्न स्वरूप होने से भित्रपना ३२ | धर्माधर्म द्रव्य के सद्भाव में हेतु २४० अस्तित्व का स्वरूप ३६ | आकाशास्तिकाय का स्वरूप २४६ सत्ता से द्रव्य भिन्न नहीं ४० | द्रव्यो के मूर्तत्व अमूर्तत्व चेतनत्व अचेतनत्वका द्रव्य के तीन लक्षण ४२| कथन २५६ द्रव्य और पर्याय का लक्षण ४६ | मूर्त अमूर्त का लक्षण २६० द्रव्य पर्याय का अभेद व्यवहार काल निशय कालका स्वरूप २६२ द्रव्य गुण का अभेद | कालका नित्य क्षणिक भेद २६४ द्रव्य के सप्त भंगी ५२ | पंचास्तिकाय का ज्ञान कर जो रागद्वेष छोड़ता सत्का विनाश असत् की उत्पत्तिका निषेध | है वह दुख रहित होता है २६८ भाव गुण पर्याय ५९ | नव पदार्थ मोक्षमार्ग प्ररूपण द्रव्य सदा रहता है । ६५ | सम्यग्दर्शन ज्ञान चारित्र का स्वरूप २७७ पाँच द्रव्य अस्तिकाय है ७८ | पदार्थों का नाम कथन २८० काल द्रव्य का वर्णन ८० जीव पदार्थ का विस्तार व्यवहार काल की पराधीनता ८६ | पृथिवी कायिकादि का कथन जीवास्तिकायका व्याख्यान ९३ ! दो इन्द्रिय के भेद २९१ मुक्तावस्था में जीव का स्वरूप १०७ | त्रीन्द्रियके भेद २९२ जीवत्व की व्याख्या , ११४ | चतुरिद्रिय के भेद उपयोग गुण का वर्णन १३३ | पंचेन्द्रिय के भेद २९४ द्रव्य और गुणों में सर्वदा भेद मानने में दोष १४८ | अजीव पदार्थ व्याख्यान ३०८ ज्ञान और ज्ञानी के समवाय संबंधका निराकरण १६० | पुण्य पाप पदार्थकथन कर्तृत्त्व गुण का व्याख्यान १६७ | मूर्त कर्म का समर्थन जीव के अन्य गुणों का वर्णन १८१ . मूर्त कर्म अमूर्त जीवका बंध कथन 10 का २७३ २८४ ३२५Page Navigation
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