Book Title: Nyayavatara
Author(s): Manikyasagarsuri
Publisher: Agmoddharak Granthmala
View full book text
________________
गाथा
(१२) विषयः
पृष्ठम् सृष्टः सककत्वाभिमतौ विविधदूषणोपस्थापनम् । ११७ प्रथमं ब्रह्मसूत्राघुल्ल खेनैव सृष्ट रनादित्वम्। ११८ ततश्च सृष्ठे : सर्जने विकल्पषट्कम् । ११६/१२० जीवानां सुखदुःखादेरदृष्टनियम्यत्वे सति ईश्वरस्य ग्रतार्थत्वनिरुपणम्।
११६/१२० सृष्टरुत्पत्तौ वैष्णवीय-स्मार्त्त-पौराणिकादिविविध-.. विप्रतिपत्तीनामुपन्यासः । .. १२१ थी १२५
औपनिषदिकानां जगदुत्पत्तौ विचित्रप्रतिपत्तिनिरूपणम्। कठोपनिषद-प्रश्नोपनिषद-मुण्डकोपनिषद्तैत्तिरीय छान्दोग्य-बृहदारण्यक-सूर्योपनिषदबहचोपनिषदादिग्रन्थेषु दर्शितं विविध जगदुत्पत्तिस्वरूपं व्यावर्ण्य सृष्ठः सक कत्वविचारासारस्वनिरूपणम । उपन्यस्त विविधविप्रतिपत्तीनामसारताविचारः। १२५ ईश्वरवादे नानाऽसङ्गतिनिरूपणम्। १२७/१२५ ईश्वरस्य कारुणिकत्व-सशरीरत्वनिरासः। १२६ ईश्वरपदवाच्यत्वेन का शक्तिरिति प्रश्नोपनिषद्बृहदारण्यक-भृगुवल्ल्यादिपाठोपृबंहितं निरूपणं ।
१३० थी १३२ ईश्वरस्याचिन्त्यशक्तिमरव-सर्वज्ञत्वविचारः। १३२/१३३ भवान्तरगमादौ ईश्वरनामाऽदर्शनं श्रुतिमूलकमुपजीव्य मुण्डक--छान्दोग्य बृहदारण्यकाद्युपनिषदाधारेणेश्वरस्य ज्ञानद्वारा क त्वमुपन्यस्य स्वाभ्युपगमनिरूपणम् ।
१३४ थी १३६

Page Navigation
1 ... 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 ... 180