Book Title: Nabhak Raj Charitram Bhashantar
Author(s): Merutungasuri
Publisher: Dosabhai Lalchand Shah
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________________ ना. || छ' एमे विचार करी समुद्र तीर्थयात्रा करवा माटे चालवानी तैयारी करतो हतो; तेवामा सिंहे ते नगरना राजांनी आगळ जइने निवेदन कयु के-'मारा मोटा भाइ समुद्रे दाटेलुं निधान मेळव्युं छे, ते निधानने लइने तीर्थयात्रा, बहान करी अहींथी हमणांज जाय छे में मारी फरज समजी आपने जाहेर कयु छे, हवे कदाच निधान लइने चाल्यो जाय तो तेमा मारो दोष नथी / 61-62 // __ मुहूर्तक्षण एवाऽथ, राज्ञाऽऽहूय नियन्त्रितः। / 26 समुद्रः कारणं ज्ञात्वा, निधानाध पुरोऽमुचत् // 63 // .. भावार्थ-सिंहना भंभेरवाथी कुपित थयेला राजाए समुद्रने मुहूर्त क्षणमांज बोलावी नियंत्रित कर्यो / पोताने अकस्मात् नियंत्रित करवानुं कारण जाणीने समुद्रे अर्धनिधान राजानी आगळ मूक्युः // 63 // सर्व स्वरूपं चावेद्य, निधिपत्रमदर्शयत् / यथावस्थितवक्तति, समुद्रं मुमुचे नृपः // 64 // भावार्थ-तेमज निधान नीकळवा बाबतनी सर्व वात राजाने कहीने भूमिमांयी नीकळेल निधिपत्र बतान्यो। सत्यवादी समुद्रना वचन उपर राजाने संपूर्ण विश्वास बेठो, अने आ सत्य बोलनार छे एष धारीने छोड़ी मूक्यो // 64 // Jun Gun Aaradhak Trust

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