Book Title: Nabhak Raj Charitram Bhashantar
Author(s): Merutungasuri
Publisher: Dosabhai Lalchand Shah
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________________ आवा प्रसंगे मारे मौन धारण करवू एज सर्वथा श्रेयस्कर छे, कारण के-मौन ए सर्व इच्छित वस्तुनुं साधन || छे" // 248 // इति तूष्णी स्थिते भूपे, मुख्यादिष्टाः स्त्रियोऽपि ताः / स्नानभोजनसामग्री, सज्जीकृत्योपतस्थिरे // 249 // भावार्थ-आ प्रमाणे ज्यारे राजाए मौन धारण करी कांइ पण उत्तर आप्यो नहीं त्यारे ते मुख्य स्वामि-!! नीए हुकम कराएल बीजी सुंदरीओ स्नान अने भोजननी सामग्री तैयार करी राजानी समक्ष लावीने उपस्थित थइ. अने कयु के-॥ 249 // प्रसव सद्यः प्राणेश!, स्नात्वा भुक्त्वा यथारुचि। / यावजीवं सहाऽस्माभि-भोगान् शुक्ष्वाऽकुतोभयः // 25 // भावार्थ-“हे प्राणेश ! अमारा उपर जलदी कृपादृष्टि करी, यथारुचि स्नान अने भोजन करी अमारी साथे जींदगी पर्यंत भोग भोगवो. अहीं तमारे कोइ पण तरफथी कांइ पण भय राखवो नहीं" // 25 // एवं वदन्त्यः शीताम्भः, सिता-द्राक्षाम्भसी अपि। सिताघृतपुरस्निग्ध-पायसादि च तत्पुरः // 251 // अजील माजी गनी , अखिस्ता यावनी मद, P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust

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