Book Title: Nabhak Raj Charitram Bhashantar
Author(s): Merutungasuri
Publisher: Dosabhai Lalchand Shah
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________________ एतयोरवमन्तारी, यास्यन्ति प्रलयं स्वयम् / ...... एतत्पाद्राजनन्तारो, वद्धिष्यन्ते महाश्रिया // 277 // इत्यम्बरगिरा साक, दुन्दुभिं दिवि ताडयन् / / ....... - गुरूणां विद्धे भक्ति, सान्निध्यं च महीपतेः // 278 // पञ्चभिः कुलकम् / भावार्थ-चन्द्रादित्य देव पण सेनाना परिमाण जेटलं छत्र विस्तारतो, सद्गुरुमहाराज अने राजाना || च. बन्ने पडखे चामरो वीजतो-॥ 274 / संवर्तक वायस बडे रस्तामा आगळ आगळ कांटा विगेरेने दूर करतो, मु. गंधी पाणी वरसावी मार्गनी धूल शांत करतो / / 275 // गंधयी बहेकी रहेला पांच वर्णना दिव्य पुष्पोथी पृथ्वीने आच्छादित करतो, आमळ एक योजन प्रमाण उंची मोटी ध्वजा फरकावतो, // 276 // " आ गुरुमहाराज अने राजानु अपमान करनारा स्वयं नाश पामशे, अने एमना चरणकमलने नमस्कार करनार लोकोने महाँलक्ष्मीनी वृद्धि थशे" // 277 // एवी आकाशवाणी साथे गगनां दुंदुभिनो जाद करतो छतो गुरुमहाराजनी भक्ति करतो हतो, तेमज राजानु सानिध्य करतो हतो // 278 // .. ... इत्थं प्रतिपदं नैक-भूपैः प्राभृतपाणिभिः। प्रवर्धमानभव्यश्री-वृपः प्रापनिजं पुरम् // 279 // ........ ___P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhek Trust SEMAMASOL oniaaadiatoubnabadataamanand aninata nAAAAAAAAA

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