Book Title: Nabhak Raj Charitram Bhashantar
Author(s): Merutungasuri
Publisher: Dosabhai Lalchand Shah
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________________ - A - .- . . बहुक्षीरपदा गावो, बहुरत्नाश्च खानयः / व्यवसाया महालाभा, दूरदेशा सुसचराः // 289 // ............... निरामया निरातका, महासौख्याश्चिरायुषः। .... ... ... पुत्रपौत्रादिसन्तान-वृद्धिभाजोऽभवन् जनाः // 290 // शिभिर्विशेषकम् / भावार्थ-आवी रौते पृथ्वीमा जेम जेम पुण्यनी वृद्धि थका लागी तेम तेम भारी रीते समयसर वृष्टि थवा लागी, घणुं धान्य नीपजवा लाग्युं, वृक्षो घणा पुष्पो अने फळ आपनास यया // 284 // गायो अधिक दूध ||102 आपवा लागी, खाणो घणा रत्नोपाळी थइ, व्यापारमा अतिशय लाभ थवा लाग्यो, घणा दूरना देशो पण सुखरूप मुसाफरी थइ शके तेचा यया // 289 // तेमज लोको निरोगी, निर्भय, अत्यंत मुखी, लांबा आयुष्यवाळा अने पुत्र-पौत्रादि संततिनी दिवाळा थयां // 29 // एवं सब्राज्यलोकानां, धर्मशर्मनिरीक्षणात् / हियेव स्वर्गिणोऽभूव-अदृश्या धर्मवर्जिताः // 291 // भावार्थ-आवी रौवे ने राज्यना लोको धर्मना प्रभाषथी एटला मुखी हता के जे मुखने जोइ धर्मवर्जित || FEAc. Sinratnasun M.S. Juri Gun Aaradhak Trust antantralaMadalandshadiuokalhalksosdownloadhosalie.aniruk..........karanasiumricanid MAHESHRIMARomshaheadline s

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