Book Title: Nabhak Raj Charitram Bhashantar
Author(s): Merutungasuri
Publisher: Dosabhai Lalchand Shah
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________________ . ना.. ITATIL ___ भावार्थ-'हुँ आजे उपवास करीने पण मारा भागर्नु भोजन आपने वहोरावशिज, माटे मारा उपर कृपाः / / करी जलदी आ भात ग्रहण करो'। आ प्रमाणे तेना अतिशय आग्रहथी मुनिराजे ते अन्न वहोर्यु // 151. // ततः कृत्वोपवास, स, निषेष चाऽसुमधे / ... ...... साधो पार्थात प्राप्त राज्य-मिवात्मानममन्यतः // 152 / / ___भावार्थ-त्यार बाद ते खेडुते मुनिराज पासेची उपवासद् तथा प्राणिक्धन पञ्चक्खाण करी रेखर आजे || में महात्मा मुनिराजने अन्नदान आपी राज्य मेळव्युं छे': प्रमाणे पोताना आत्माने मानस लाग्यो / 152 // 56. . ... एवमर्जितसत्कर्मा, कौशिको भद्रकाशयः। ............... विपद्य चित्रकूटाद्रौ, चित्रपुर्या नृपोऽभवत् // 153 // भावार्थ-आवी सेते भद्रक परिणामी ते कौशिके पुण्य मार्जन करी, आयुष्य पूर्ण यता मरण पामी, I | चित्रकूट पर्वत पर रखेल चित्रपरी नगरीमा राजा थयो // 153 // चन्द्रादित्याभिधः शुद्ध-दयापुण्यविभावितः। .. . निरामयो महारूपा-ऽमङ्गीकृतमनोभवः // 154 // P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust

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