Book Title: Nabhak Raj Charitram Bhashantar
Author(s): Merutungasuri
Publisher: Dosabhai Lalchand Shah

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Page 65
________________ भावार्थ-आ प्रमाणे मुनिना मुखी पोताना पूर्वभवनो संबंध सांभळीने राजा पापर्थी भय पाम्यो, अने || मुनिना चरणकमळमां पढी गद्गद स्वरे बोल्यो के-'हे कृपासिंधो! मने आ महान् पापथी छोडाको छोडावो // 165 // परमेष्ठिमहामन्त्रं, नृपायोपादिशन्मुनिः / .. तस्याऽर्थं च प्रभावं च, विधिं च स्मरणेऽखिलम् // 166 / / भावार्थ-मुनिए राजाने पंचपरमेष्ठी रूप महामंत्रनो उपदेश कर्यो, तथा पंचपरमेष्ठीनुं ध्यान करता तो अर्थ प्रभाव अने विधि सर्व सारी रीते समजाव्या // 166 // ..... देवस्वपातकाद् देव-प्रासादस्य विधापनात् / - मुच्यते जन्तुरित्याख्यत्, प्रायश्चित्तं च शास्त्रवित् // 167 // भावार्थ-तथा शास्त्रना जाणकार ते मुनिराजे देवद्रव्य विनाशर्नु प्रायश्चित्त पण जणाव्यु के-'देवद्रव्युलो विनाश करनार प्राणी देवमंदिर कराववाथी ते पापथी छूटे छे // 167 // .. अथ राजा पुरे स्वीये, स्थापयित्वाऽऽग्रहाद यतिम् / .' यथोपदेशाम रे, महामन्त्रस्थति ततः // 168 // . ManusNRBATROChende प्रांतीज.. खजीत सागणी प्रसिद-वला पंन्यासकी श्रीम go to to......... constop . -भाल के . P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust

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