Book Title: Nabhak Raj Charitram Bhashantar
Author(s): Merutungasuri
Publisher: Dosabhai Lalchand Shah
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________________ -- - ना च. ततोऽतिक्रान्त शेषाऽध्वा, पुरस्कृत्य गुरुं नृपः। . रेजे चटन् गिरि मुक्त्यै, प्रस्थानं साधयन्निव // 219 // || भावार्थ-त्यार पछी बाकीनो मार्ग उल्लंघन करी गुरुमहाराजने आगळ करी जाणे मुक्तिने माटे प्रस्थान साधतो होयनी! तेवी रीते शत्रुजय उपर चडतो राजा शोभवा लाग्यो // 219 / / प्रासाददर्शने पूर्व-मपूर्वोत्सवपूर्वकम् / याचकेभ्यो दददानं, कल्पवृक्षायते स्म सः // 220 // .. भावार्थ-पहा पवित्र तीर्थ श्रीशत्रुजप उपर चडतां प्रथम श्रीआदीवर प्रभुना देरासर दर्शन थतांज अपूर्व || याचकीने दान आपतो ते नाभाक राजा साक्षात कल्पवृक्ष सपान देखावा लाग्यो / 220 / स्नात्रपूजाध्वजारोपा-ऽमारिस्नानाशनादिकम् / . सव सङ्घपतधेमे-कमीऽष्टाहमपि व्यधात् // 221 // भावार्थ-ते नाभाक राजाए अट्ठाइ महोत्सव करी आठे दिवस स्नात्रपूजा, ध्वजारीपण, * अमारिपडह, || / स्नान, स्वामिवात्सल्य विगेरे संघपतिनां धर्म कार्यो कर्या // 221 // P.P.AC. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust

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