Book Title: Nabhak Raj Charitram Bhashantar
Author(s): Merutungasuri
Publisher: Dosabhai Lalchand Shah
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________________ विघ्न करवा माटे पोतानो भाव भजवे छे, पण पुण्यकार्यमा प्रवृत्त थयेल दृढ चित्तवाळो खरेखर पोताना कार्यमा || फत्तेह मेळवे छे" // 212 // . .. मत्वैवमेकचित्तः स-नादिदेवस्मृतौ नृपः। . उपशत्रुजयं प्रापा-ऽनवच्छिन्नप्रयाणकैः // 213 // :. भावार्थ-आ प्रमाणे गुरु महाराजनुं वचन हृदयमा सद्दहीने श्रीमान् आदीश्वर प्रभुना ध्यानमां एकाग्र मनवालो नाभाक राजा अस्खलित प्रयाणथी श्रीशत्रुजय पर्वत पासे पहोंच्यो // 213 // . ..... दृग्विषयं तीर्थे प्राप्ते, निजसैन्यं निवेश्य सः।... शुचिर्भूत्वाऽभितीर्थ च, पदानि कतिचिद्ददौ // 214 / / .. ... 'सिंहासनेऽथ न्यस्याऽहंदु-बिम्बं सकलसङ्घयुक् / . ..... स्नपयित्वा ततः सर्व-पूजाभेदैरपूजयत् // 215 // भावार्थ-श्रीशत्रुजय तीर्थ दृष्टिए पडयु के तुर्त पोताना सैन्यने त्यांज स्थापन करी, शरीरे पवित्र थइ, तीर्थ || सन्मुख केटलाएक डगला आगळ जइ, सर्व संघ सहित सिंहासन पर अरिहंत प्रभुनी प्रतिमा पधरावीने ते प्रतिमानी || म पखाळ करी पूनानी सर्व सामग्री वडे विधिपुरःसर पूजा करी // 214-215 // भुपत कागरजी गली सिद धाशा पन्यासकी। अष्ट्र BukutteivelineDNEYatuildin sabsitya म P.P.AC. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust

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