Book Title: Nabhak Raj Charitram Bhashantar
Author(s): Merutungasuri
Publisher: Dosabhai Lalchand Shah
View full book text
________________ % ..... नियोज्य स्वजनान्नव्य-प्रासादार्थे गुरोगिरा। एकान्तरोपवासैः सोऽष्टमासीतप आददे // 207 // भावार्थ-स्यार पछी गुरुमहाराजना उपदेशथी नवीन देरासर बंधाववा माटे पोताना माणसोने आज्ञा करी | || एकांतरे उपवास करवा पूर्वक तेणे अष्टमासी तप शरु कर्यो // 207 // सिद्धिं गतेऽथ प्रासादे-अष्टभिर्मासैः स काञ्चनाम् / - श्रीआदिदेवप्रतिमां, स्थापयामास सोत्सवम् // 208 // 75 भावार्थ-आठ महिने देरासर पूर्ण थयुं त्यारे नाभाकसजाए ते देरासरमा म्होटा उत्सव पूर्वक श्रीऋषभदेव प्रभुनी सुवर्णमय प्रतिमा प्रतिष्ठित करावी // 208 // तत्र त्रिकालं सर्वज्ञ-मर्चयन् विधिवन्नृपः। सासाष्टकेन सम्पूर्णी-चक्रे शेषतपोऽखिलम् // 209 // भावार्थ-पोते बंधावेला नवीन देरासरमा प्रतिष्ठित कारावेली श्रीऋषभदेव सर्वज्ञनी अतिमानी हमेशा त्रण || काळ विधियुक्त पूजा करतां नामाकराजाए आठ महिने बाकीनो तंप पूरो कर्यो // 209 // D ना P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust

Page Navigation
1 ... 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108