Book Title: Nabhak Raj Charitram Bhashantar
Author(s): Merutungasuri
Publisher: Dosabhai Lalchand Shah

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Page 78
________________ || ना. . 11. भावार्थ-आ प्रमाणे श्रीयुगंधरसूरिनो उपदेश सांभळी तेज वखवें नामांकराजाए किल्लामा प्रवेश करवानो || नियम ग्रहण कर्यो, अने सर्व प्रजावर्गने बोलायी त्यांज नगर वसाव्युं // 203 स्थापयित्वा गुरूस्तन्त्र, जग्राहाऽभिग्रहानिति / यावद्यात्रां विधायात्रा-यामि तावत् क्षितौ शये // 24 // अब्रह्म दधि-दुग्धे च, वर्जयामि क्रमादिदम् / तीर्थ-ब्रह्मा-ऽपत्यहत्या-शुद्धयै मेऽभिग्रहत्रिकम् // 205 // 74 / परस्त्री मांस-मद्ये च, यावजीवमतः परम् / त्यक्तानि नियमा एते, स्त्री-गोहत्याविमुक्तये // 206 // त्रिभिर्विशेषकम् / भावार्थ-गुरुमहाराजने पण त्यांज राखी तेओश्री पासे नामाकराजाए आ प्रमाणे अभिग्रहो ग्रहण कर्या|| ज्यां सुधीमा हुं श्रीशत्रुजय तीर्थनी यात्रा करी पाछो अहीं आईं त्यां सुधी पृथ्वी पर शयन करीश. तीर्थहत्यानी शुद्धि माटे यात्रा करीने पाछो आq त्यां सुधीमा मैथुननो त्याग करूं छु, ब्राह्मणहत्यानी शुद्धि माटे. दहीनो त्याग. करु छ, अने बालहत्यानी शुद्धि माटे दूधनो त्याग करूं छु, स्त्रीहत्या अने गौहत्यानी शुद्धि माटे यावज्जीव परस्त्री | मांस अने मधनो त्याग करुं छु // 204-205-206 / / P.P.AC. Ganratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust Mala.. . - Manipariuout

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