Book Title: Nabhak Raj Charitram Bhashantar
Author(s): Merutungasuri
Publisher: Dosabhai Lalchand Shah
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________________ तीर्थहत्याविनिर्मुक्तः, शुभेऽहि भरतेशवत् / ..श्रीशत्रुञ्जययात्रार्थ, चचाल गुरुभिः सह // 210 // ... भावार्थ-आ प्रमाणे अष्टमासी तप करवायी अने नवीन देरासर बंधाववाथी तीर्थहत्याना पापी मुक्त थयेल ते नामाकराजाए शुभ दिवसे चक्रवर्ती भरतेश्वर महाराजांनी पेठे श्रीशत्रुजय तीर्थनी यात्रा निमित्ते गुरु महाराज साथे त्यांथी प्रयाण कर्यु // 210 // चतुर्धाऽऽद्यप्रयाणेषु, मार्जारीषु पदोपरि। . . समुत्तीर्णासु त तुं, पृष्टाः श्रीगुरवोऽवदन // 211 // भावार्थ-श्रीशत्रुजयनी यात्रा माटे नाभाक राजा प्रयाण करतो हतो तेवामां शरुआतमा ज चार बिळाडी तेना पग आगळ थइने चाली गइ. राजाए गुरुमहाराजने तेनुं कारण पूछ्युं, त्यारे गुरुमहाराजे कह्यु के-॥ 211 // घालादिहत्याः स्वं भावं, पुण्यप्रत्यूहहेतवे / दर्शयन्ति परं सिद्धि-ध्रुवं स्यादेकचेतसः // 212 // भावार्थ-" हे राजन् ! ते जे पूर्व भानुना भवमा बालहत्यादि हत्याओ करी हती ते पापो पुण्यकार्यमां / / P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust

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