Book Title: Nabhak Raj Charitram Bhashantar
Author(s): Merutungasuri
Publisher: Dosabhai Lalchand Shah
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________________ - भावार्थ-पारसीक देशमा तेना लोही बडे वस्त्रो रंगावा लाग्या. आवी रीते आपत्तिमां आवी पडेलो. ते / / सोम. लाग जोइ त्यांयी नाठो, समुद्र उतरीने रस्तामा जतां कोई एक गाम आव्यु. गाममा पेसतान तेनी सन्मुख | आवता मास उपवासवाला एक मुनिने ते पापीए लाकडी वडे त्रण वार प्रहार करी जमीन पर पाडी दीपा // 142-143 // - तस्मिन्नथ विपन्नेऽसौ, नश्यन्नारक्षकैर्धतः / कृपया मोचितः श्राः, पलाय्यं कृतवानथ // 144 // . ||533 भावार्थ- लाकडीना अतिशय महारथी मुनिराज त्यांज मरण पाम्या-मुनिने मारी सोम त्यार्थी नासती हतो तेवामा रस्ताम कोटवालोए पकडयो, पण त्यांना दयाल श्रावकोए करुणा ला छोडाव्यो. त्यार बाद सोमः त्यांची पलायन करी जंगलमा चाल्यो गयो // 144 // ... मृत्वा दावाग्निनारण्ये, सप्तमं नरकं गतः। ऋषिहत्यामहापापं, तत्कालं स्यात् फलप्रदम् // 145. // भावार्थ-अरण्यमा दावानळथी मरण पापीने सातमी नारकीमा गयो, कारण के मुनिहत्यानुं महापाप तत्काल // ल फळ आपे छ॥१४५॥ P.P.Ac:Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust

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