Book Title: Nabhak Raj Charitram Bhashantar
Author(s): Merutungasuri
Publisher: Dosabhai Lalchand Shah

View full book text
Previous | Next

Page 52
________________ भावार्थ-वहेता लोहीथी खरडायेल ते कूतरो राजाना न्यायमंदिरमा जइ बेगे. राजाए तेने बोलाचीने राजसभामां आववाचं कारण पूछयु, त्यारे तेणे कमु के-'हुं निरपराधी छतां मने ब्राह्मणना छोकराए केम मार मार्यों? // 128 // ..... . तद्घातक विप्रपुत्र, तत्रानाय्य नृपोऽब्रवीत्। असौ त्वद्घातको ब्रूहि, कोऽस्य दण्डो विधीयते ? // 129 // भावार्थ-राजाए तेने मारनार ब्राह्मणना छोकरानी तपास करावी सभामा बोलान्यो, अने कृतराने कयुं | 48 // के-'आ तने मारनार छे, माटे बोल, आने झं शिक्षा करवी?' // 129 // श्वाऽवोचद्ध रुद्रस्य, मठेऽयं हि नियोज्यताम् / क एष दण्डो राज्ञेति, पृष्टः श्वा च पुनर्जगौ // 130 // भावार्थ-कूतराए कयु के-'तेने मात्र एटलीज शिक्षा करो के अहींना शिवना देवालयमां तेनी पूजारी तरीके नीमणुक करो' / आ प्रमाणे कृतराए कहेलु अयोग्य वचन सांभळी राजाए विस्मित था पूछयु के-'आ |दंड कहेवाय / त्यारे कूतराए पोतानो सर्व सविस्तर वृत्तान्त जगाव्यो के-॥ 130 // P.P. Ac Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust

Loading...

Page Navigation
1 ... 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108